सुकमा। छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र सीमा पर गढ़चिरौली में फोर्स ने 16 माओवादियों को मार गिराया। यह इस साल की अब तक की सबसे बड़ी सफलता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों को ऐसी सफलता नहीं मिली, जबकि नक्सलियों ने फोर्स का काफी नुकसान पहुंचाया है। छत्तीसगढ़ के बुरकापाल हमले को आज एक बरस हो गए हैं। पिछले बरस इसी दिन नक्सलियों ने बड़ा हमला किया था जिसमें सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे। ये वही इलाक़ा है जिसे नक्सलियो का देश में सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है। ऐसे में सवाल उठते हैं कि छत्तीसगढ़ में कब सुरक्षा बलों को माओवादियों के खिलाफ बड़ी सफलता मिलेगी।
यह भी पढ़ें – भूपेश ने रमन से पूछा- क्या अब नीति आयोग के सीईओ के चश्मे का नंबर पूछेंगे
उल्लेखनीय है कि साल 2009 से अब तक 150 जवानों की नक्सल मोर्चे पर शहादत हो चुकी है। यहां के एक ही थाना क्षेत्र चिंतागुफा में वर्ष 2009 से अब तक कई बार नक्सलियो ने छोटे बड़े हमले किए हैं। ताड़मेटला हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे। हर एक घटनाओं के बाद नक्सलवाद और मौजूद होता गया घटनाओं मे लुटे गए हथियारों से नक्सली और आधुनिक होते चले जा रहे हैं। इस इलाके में ऐसे कई हमले हुए हैं जिसमें फोर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि फोर्स कहां चूक कर रही है। जिसके कारण उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। संसाधनों और हथियारों के मामले में राज्य और केन्द्र सरकार पूरी ताकत लगाने का दावा करती है।
जानकारों का दावा है कि खुफिया तंत्र की कमजोरी और सुरक्षा बलों व स्थानीय पुलिस के बीच तालमेल की कमी एक बड़ा कारण है जिसके कारण छत्तीसगढ़ में माओवादी अपनी पैठ बढ़ाते जा रहे हैं। कवर्धा जिले में माओवादियों ने संगठन को मजबूत किया है। झीरम हमले में प्रदेश कांग्रेस के नेताओं तक की हत्या कर दी गई थी। हर बार ऐसे बड़े हमलों के बाद बड़े ऑपरेशन के दावे किए जाते हैं, लेकिन अब तक ऐसा कोई भी कमाल नहीं हो सकता है।
वेब डेस्क, IBC24
Lok Sabha Election 2024 Phase 1 : मतदान करने से…
49 mins ago