रायपुर। छ.ग. स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड ने शराब विक्रय से प्राप्त राशि ट्रेजरी में जमा नहीं करने संबंधी प्रकाशित खबरों का खंडन किया है। राज्य में वर्तमान में फुटकर मदिरा दुकानों का संचालन एवं उनके माध्यम से मदिरा के बिक्री का कार्य छत्तीसगढ़ शासन द्वारा नहीं किया जा रहा है। यह कार्य छत्तीसगढ़ शासन के पूर्ण स्वामित्व वाली उपक्रम, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड के द्वारा किया जा रहा है। मदिरा के फुटकर विक्रय से प्राप्त राशि कार्पोरेशन के खाते में जमा होती है तथा कार्पोरेशन द्वारा राज्य शासन को राजस्व जमा किया जाता है। मदिरा के विक्रय की राशि कोषालय में जमा न किए जाने की खबरें तथ्यहीन हैं।
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प्रबंध संचालक ने बताया कि छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम, 1915 एवं उसके अंतर्गत निर्मित नियमों के अधीन राज्य में मदिरा का क्रय एवं विक्रय किया जाता है। उक्त नियमों के तहत समस्त प्रकार की मदिरा पर आबकारी शुल्क, सी॰वी॰डी॰, अतिरिक्त आबकारी शुल्क एवं अधिभार का भुगतान उपरांत मदिरा का क्रय किया जाता है। शासन के द्वारा जारी परिपत्र के तहत जिन शराब कम्पनियों से शराब क्रय किया जाता है उसका भुगतान भी 10 दिवस में कर दिया जाता है। इस प्रकार शराब के फुटकर विक्रय के पूर्व ही समस्त प्रकार के कर एवं क्रय की गई मदिरा के मूल्य का भुगतान कार्पोरेशन के द्वारा कर दिए जाने की व्यवस्था पूर्व से ही है।
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महासमुंद जिले के में रुपए 8.99 करोड़ के वित्तीय अनियमितता के प्रकरण में जिले के तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी प्रवीण वर्मा को निलम्बित किया गया है। सम्बंधित सुपरवायजर एवं सेल्समैन के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण कायम कर 10 कर्मचारियों को जेल भेजा गया है। सम्बंधित एजेंसियों से राशि की वसूली की कार्यवाही की जा रही है। इसी प्रकार अन्य जिलों के प्रकरणों में रुपए 4 करोड़ की राशि वसूल कर ली गई है।
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समाचार पत्रों में प्रकाशित अवधि दिनांक 1 जनवरी, 2018 से 31 अक्टूबर, 2019 तक कुल 22 माह में कार्पोरेशन के द्वारा रुपए 2467 करोड़ मूल्य की मदिरा का क्रय किया गया जिस पर राज्य शासन को रुपए 8271 करोड़ का राजस्व भुगतान किया गया। कार्पोरेशन के द्वारा उक्त अवधि में रुपए 11128 करोड़ मूल्य की मदिरा का विक्रय मदिरा दुकानों से किया गया है। जिस पर कार्पोरेशन को प्राप्त मार्जिन मनी के माध्यम से कार्पोरेशन का संचालन किया जा रहा है।
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कार्पोरेशन के द्वारा किए जा रहे कुशल प्रबंधन से होने वाले लाभ से रुपए 126 करोड़ की ऋण की राशि की वापसी शासन को की जा चुकी है तथा वर्तमान वित्तीय वर्ष में रुपए 100 करोड़ की वापसी किए जाने की योजना है। राज्य शासन के द्वारा लागू की गई इस व्यवस्था को आन्ध्रप्रदेश एवं तेलंगाना के द्वारा अपनाया गया है। अन्य राज्यों के द्वारा इस व्यवस्था को लागू करने के उद्देश्य अध्ययन किया जा रहा है। अतः समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर तथ्यहीन एवं भ्रामक है राज्य शासन की यह व्यवस्था एक सफल व्यवस्था है।
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