छत्तीसगढ़ में भी मीसाबंदियों की पेंशन पर रोक, सरकार ने दिए समीक्षा और सत्यापन के निर्देश

छत्तीसगढ़ में भी मीसाबंदियों की पेंशन पर रोक, सरकार ने दिए समीक्षा और सत्यापन के निर्देश

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  • Publish Date - January 29, 2019 / 07:15 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:58 PM IST

रायपुर। मध्यप्रदेश और राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने भी मीसाबंदियों की पेंशन को लेकर बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने मीसाबंदियों की पेंशन पर फिलहाल रोक लगाते हुए समीक्षा और सत्यापन के निर्देश जारी किए हैं। सत्यापन तक पेंशन रोकने के लिए बैंकों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

बताया गया कि इस बारे में नए वित्तीय वर्ष में नए सिरे से निर्णय लिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में करीब छत्तीसगढ़ में करीब तीन सौ मीसाबंदी है॥

छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद 1975 में आपातकाल के दौरान बंदी रहे लोगों को पेंशन देने की व्यवस्था की गई। बंदियों में जनसंघ परिवार के अलावा दूसरे वर्गों के लोग भी शामिल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में करीब तीन सौ लोगों को मीसाबंदी मानकर पेंशन दी जा रही है। मीसाबंदी पेंशन उन लोगों को दी जा रही है जो आपातकाल के दौरान एक महीने जेल में रहे थे। इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को 25 हजार रुपए महीने पेंशन के रूप में दिए जाते हैं।

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बता दें कि राजस्थान और मप्र सरकारें पहले ही मीसाबंदियों की पेंशन पर रोक लगाते हुए पहले इसका सत्यापन करने के निर्देश जारी कर चुकी हैं। अब छत्तीसगढ़ सरकार ने भी यह कदम उठाया है। हालांकि मप्र सरकार के इस निर्णय के खिलाफ मीसाबंदी मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में इसके खिलाफ याचिका दायर कर चुके हैं। करीब एक सप्ताह पहले दायर इस याचिका पर मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की एकलपीठ ने मीसाबंदी पेंशन बंद करने पर शासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।