छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के साथ ही प्रदेश के स्कूलों में छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई शुरू कराने के लिए बिलासपुर की महिलाएं आज दिल्ली के जंतर-मंतर में सत्याग्रह करेंगी। इसके लिए छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना की कार्यकर्ता दिल्ली पहुंच गई हैं और सुबह ग्यारह बजे सबसे पहले राजघाट जाएंगी। जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद वे जंतर-मंतर पहुंचेंगी। जंतर-मंतर में आयोजित सत्याग्रह में कई सांसद और विधायक भी उनकी मांग को लेकर समर्थन करने जाएंगे। महिला क्रांति सेना की कार्यकर्ता एक सप्ताह तक वहां रहकर प्रधानमंत्री समेत कई मंत्रियों से मुलाकात कर अपनी दोनों मांगें उन्हें बताएंगी। उनके साथ छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के नंदकिशोर शुक्ल भी दिल्ली गए हैं।
क्रांतिसेना के पदाधिकारियों और शुक्ल ने बताया कि छोटे-छोटे राज्यों में बोली जाने वाली भाषाएं आठवीं अनुसूची में शामिल हैं, लेकिन पूरे प्रदेश में बोली जाने वाली छत्तीसगढ़ी भाषा को शामिल नहीं किया गया है। इसी तरह सिंधी, उर्दू जैसी कुछ भाषाएं हैं जो किसी राज्य की भाषा नहीं है, लेकिन उन्हें भाषा का दर्जा मिला हुआ है, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य की भाषा होने के बाद भी उपेक्षित हैं। उन्होंने कहा कि वे CBSE जैसे शिक्षा संस्थानों के प्रमुख से मिलकर इस बात के लिए दबाव बनाएंगे कि पांचवी तक छत्तीसगढ़ी माध्यम से शिक्षा अनिवार्य किया जाए. सांसद अभिषेक सिंह ने भी इस मांग का समर्थन किया जाए.