शिक्षाकर्मियों को झटका, अप्रशिक्षित शिक्षकों के वेतनमान पर कोर्ट के फैसले को डबल बेंच में चुनौती

शिक्षाकर्मियों को झटका, अप्रशिक्षित शिक्षकों के वेतनमान पर कोर्ट के फैसले को डबल बेंच में चुनौती

शिक्षाकर्मियों को झटका, अप्रशिक्षित शिक्षकों के वेतनमान पर कोर्ट के फैसले को डबल बेंच में चुनौती
Modified Date: November 29, 2022 / 08:53 pm IST
Published Date: May 9, 2018 9:36 am IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मी संविलियन को लेकर बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है और सरकार के मुखिया डॉ रमन सिंह ने रास्ता निकलने की उम्मीद जताई है। ऐसे में राज्य शासन के एक आदेश से शिक्षाकर्मियों को झटका लगा है। राज्य सरकार के अप्रशिक्षित शिक्षकों को समयमान और पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ नहीं देने के फैसले को बिलासपुर हाईकोर्ट ने पलट दिया था। अब राज्य सरकार ने इस मसले पर डबल बेंच में अपील की है। 

उल्लेखनीय है कि डीएड और बीएड अप्रशिक्षित शिक्षकों के संबंध में पंचायत विभाग की ओर से आदेश जारी किया था कि अप्रशिक्षित शिक्षकों को न तो नियमित किया जाएगा और न ही उनको वेतन वृद्धि दी जाएगी। इसके साथ ही 8 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके शिक्षकों को समयमान वेतनमान और पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ नहीं देने का फैसला लिया गया था। 

शिक्षाकर्मियों ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सिंगल बेंच ने शिक्षकर्मियों के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसी प्रकार राज्य सरकार नियोक्ता की अनुमति के बिना निम्न पद से उच्च पद पर कार्यभार ग्रहण करने वाले शिक्षाकर्मियों के भी निम्न पद में काम किए गए अनुभव को पुनरीक्षित वेतनमान देते समय नहीं जोड़ने का फैसला लिया गया था। इस मसले पर शिक्षाकर्मियों में फैसला आने के बाद राज्य शासन ने उच्च न्यायालय की डबल बेंच में अपील की है। इस आशय का एक पत्र पंचायत विभाग की ओर जारी हुआ है। 

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नगरीय निकाय शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने कहा है कि प्रभावित शिक्षाकर्मी साथियों ने न्यायालय की शरण ली थी और वहां से वे जीत कर आए हैं, लेकिन उन्हें लाभ देने के बजाय शासन ने फिर से एक बार अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मामले को लटकाने की कोशिश की है जिससे पूरे शिक्षाकर्मी समुदाय में आक्रोश है 

मोर्चा के मीडिया प्रभारी विवेक दुबे ने कहा कि शासन को शिक्षाकर्मियों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए। इस पर ध्यान देने और इसकी व्यवस्था  करने के बजाय शिक्षाकर्मियों के हक को छीनने की कोशिश उचित नहीं है। प्रशिक्षण के अभाव में परेशान शिक्षाकर्मियों को दिए जाने वाले लाभ से वंचित किया जा रहा है और उन पर 2 साल के अवैतनिक अध्ययन अवकाश जैसा अव्यवहारिक आदेश लाद दिया गया है।  वहीं निम्न पद से उच्च पद वाले मामले में भी प्रशासन द्वारा उस समय जानबूझकर अनुमति नहीं दी जा रही थी जिसके चलते शिक्षाकर्मियों ने उस समय बिना अनुमति के उच्च पद में कार्यभार ग्रहण किया था।


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