देखिए तखतपुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड-मीटर
देखिए तखतपुर के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड-मीटर
तखतपुर। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है छत्तीसगढ़ के तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक की। बिलासपुर जिले में आने वाली इस विधानसभा सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है और राजू सिंह क्षत्री यहां से वर्तमान विधायक हैं। चुनाव पूर्व किए गए उनके वादे और उन वादों की आज की हकीकत बिलकुल अलग हैं।
बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर तखतपुर विधानसभा का इलाका शहर के उस्लापुर से लेकर कोटा-लोरमी के जंगलों तक फैला हुआ है। एक नगर पालिका और एक नगर पंचायत वाली इस विधानसभा की तासीर शहरी और ग्रामीण दोनों है। कृषि प्रधान इस इलाके में धान और दलहन की फसल यहां के लोगों के जीवन का आधार है। एक वक्त था जब तखतपुर विधानसभा क्षेत्र पूरा ग्रामीण इलाका हुआ करता था लेकिन उस्लापुर ओवरब्रिज बनने के बाद जहां से ये विधानसभा क्षेत्र लगता है वहां आधुनिक और बड़ी रिहायशी कॉलोनियां बन गई है। इन कॉलोनियों में ड्रेनेज सिस्टम और साफ–सफाई की कमी भी परेशानी का सबब बना हुआ है। वहीं लगातार बिजली गुल होने की समस्या भी यहां आम बात है। इसे लेकर लोगों में नाराजगी साफ देखी जा सकती है।
ऐसा नहीं है कि केवल शहरी इलाकों में ही समस्याएं हैं। मुख्य सड़कों से दूर बसे गांवों में भी दुश्वारियों की कोई कमी नहीं है। कहीं सड़क नहीं है तो कई इलाकों में साफ-सफाई के अभाव में लोगों का जीना मुहाल है। वहीं सिंचाई साधनों की कमी, किसानों को खाद, यूरिया, बीज नहीं मिलना भी बड़ी समस्या है। हालांकि विधायकजी का दावा है भैंसाझार परियोजना के शुरू हो जाने से सिंचाई से जुड़ी सारी परेशानी खत्म हो जाएगी। सरकार ने भैंसाझार परियोजना की नहरों के लिए बड़े पैमाने पर जमीन का अधिग्रहण किया। जिन ग्रामीणों से जमीनें ली गई, ना तो उन्हें पैसा मिला और न ही नौकरी। जाहिर है बेरोजगारी का मुद्दा यहां बड़ा सियासी मुद्दा बनेगा। इसके अलावा लोगों की ये भी शिकायत है कि उनके विधायक केवल शहरी इलाकों में ही नजर आते हैं। गांवों में तो वो केवल वोट मांगने आते हैं। चुनावी साल है तो इन मुद्दों को लेकर सियासत भी तेज हो गई है।
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इन बुनियादी जरूरतों के अलावा अगले चुनाव में तखतपुर शहर के बीचोबीच गुजरने वाली सड़क की बदहाली भी चुनावी मुद्दा बन सकता है। दरअसल इस सड़क पर 24 घंटे भारी वाहनों का आना जाना लगा रहता है। धूल, धुआं और एक्सीडेंट से लोग हलाकान हैं। बाईपास होने के बावजूद ट्रैफिक यहीं से गुजरता है। इसे लेकर लोगों में खूब नाराजगी है। जाहिर है तखतपुर के मौजूदा विधायक के लिए मिशन 2018 किसी बड़े इम्तिहान से कम नहीं होगा। तखतपुर के सियासी समीकरण की बात की जाए तो ये सीट बीजेपी के कद्दावर नेता और मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके मनहरण लाल पांडेय का चुनाव क्षेत्र रहा है। ग्रामीण और शहरी परिवेश को समेटे तखतपुर विधानसभा में कुछ मौकों को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी कांग्रेस पर हमेशा बीस साबित हुई है। पिछली दो बार से ये सीट बीजेपी के कब्जे में है। सामान्य निर्वाचन क्षेत्र होने के बावजूद यहां अनुसूचित जाति के वोट निर्णायक साबित होते हैं।
ये है बेलपान गांव जो तखतपुर विधानसभा क्षेत्र को खास बनाती है। कहा जाता है कि यहां मौजूद एक कुंड से जो नदी निकली है उसे छोटी नर्मदा कहते हैं। इससे लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है। लेकिन तखतपुर के राजनीतिक आस्था की बात करें तो यहां की जनता का झुकाव बीजेपी की तरफ ज्यादा रहा है। बीजेपी के कद्दावर नेता और मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके मनहरण लाल पांडेय के कारण भी जाना जाता है। मनहरण लाल पांडेय ने ही इलाके में भैंसाझार परियोजना सहित कई सिंचाई योजनाओं की नींव रखी थी। मनहरण लाल पांडेय यहां से पांच बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। लेकिन 1996 में उनके लोकसभा जाने के बाद पहली बार कांग्रेस के बलराम सिंह यहां से विधायक चुने गए। इसके बाद 1998 में बीजेपी ने वापस सीट पर कब्जा किया। लेकिन 2003 में बलराम सिंह ठाकुर दूसरी बार चुनाव जीतकर सीट को कांग्रेस के पाले में डाल दिया। 2008 में बीजेपी के टिकट पर राजू सिंह क्षत्रीय यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में भी राजू सिंह क्षत्रीय पर पार्टी ने भरोसा किया। भरोसे पर खरा उतरते हुए राजू सिंह ने आशीष सिंह को मात देकर विधायक चुने गए। इस चुनाव में बीजेपी को जहां 44735 वोट मिले, वहीं कांग्रेस को 44127 वोट मिले। इस तरह जीत का अंतर महज 608 वोटों का रहा। एक दो चुनाव को छोड़ दिया जाए तो सीट पर बीजेपी का पलड़ा भारी रहा है लेकिन इस बार जेसीसीजे और आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदान में उतरने से तखतपुर में सियासी घमासान दिलचस्प होने की पूरी संभावना है।
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तखतपुर विधानसभा वैसे तो सामान्य सीट है, लेकिन यहां कास्ट फैक्टर चुनाव नतीजों को काफी प्रभावित करते हैं। खास तौर पर अनुसूचित जाति के वोटर निर्णायक साबित होते हैं। 2 लाख 14 हजार 699 मतदाता वाले इस विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर, कुर्मी और ब्राह्मण भी बड़ी संख्या में हैं। कुल मिलाकर इस बार भी यहां सियासी जंग जीतेगा वही। जो यहां के सारे समीकरणों को साधने में सफल होगा।
अब जब चुनाव में कुछ महीनों का वक्त बचा है तो तखतपुर में सियासी पार्टियां जहां जीत के लिए चुनावी रणनीति बनाने में जुट गई हैं वहीं विधायक के टिकट पाने नेता जोड़-तोड़ में लग गए हैं। साथ ही जनता के दरबार में हाजिरी भी लगाने लगे हैं। बीजेपी की बात करें तो आगामी सियासी महासमर के लिए सीटिंग एमएलए राजू सिंह क्षत्री टिकट के स्वाभाविक दावेदार हैं। बीजेपी से हर्षिता पांडेय का नाम भी सामने आ रहा है। वहीं कांग्रेस में हर बार की तरह यहां टिकट दावेदारों की कोई कमी नहीं है। सीट पर इस बार जेसीसीजे और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में ताल ठोकेंगे।
बिलासपुर जिले में आने वाला तखतपुर विधानसभा बीजेपी के मजबूत गढ़ों में से एक है। एक-दो चुनावों को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस यहां दूसरे नंबर पर ही रही। 2008 से यहां बीजेपी के राजू सिंह क्षत्री विधायक हैं और सरकार के संसदीय सचिव भी हैं हालांकि उनकी जीत में यहां कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों का बड़ा हाथ रहा है। कभी कौशिक समाज अपने प्रत्याशी को टिकट नहीं मिलने पर बागी प्रत्याशी उतार देता है तो कभी जगजीत सिंह मक्कड़ बगावत कर वोटों का गणित बिगाड़ देते हैं। कांग्रेस यहां दो चुनाव बेहद कम मार्जिन 145 और 608 वोटों से हारी है। ऐसे में बीजेपी के लिए इस बार भी जीत आसान नहीं रहने वाली। वैसे तखतपुर में बीजेपी के संभावित उम्मीदवारों की बात की जाए तो मौजूदा विधायक यहां टिकट के प्रमुख दावेदार हैं। लेकिन कुछ मामलों को लेकर राजू सिंह क्षत्री की खराब छवि और एंटी इंकम्बेंसी को रोकने के लिए पार्टी उनकी जगह किसी और को मौका दे सकती है। अगर ऐसा कुछ होता है तो मनहरण लाल पांडेय की बेटी हर्षिता पांडेय टिकट की प्रबल दावेदार होंगी। हर्षिता इस समय महिला आयोग की अध्यक्ष है और क्षेत्र में काफी सक्रिय भी है।
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वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की बात की जाए तो यहां भी दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। हालांकि पिछला चुनाव महज 608 वोटों से हारने वाले आशीष सिंह की टिकट एक बार फिर तय मानी जा रही है। लेकिन आशीष सिंह को इस बार जगजीत सिंह मक्कड़ से कड़ी चुनौती मिल सकती है। इन दोनों नेताओं के अलावा भी कांग्रेस में पंचायत स्तर के कुछ नेता टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के सामने चुनौती होगी कि वो सही वो सही कैंडिडेट को ही टिकट दें। नहीं तो पार्टी में फिर से फूट पड़ सकती है। अजीत जोगी की नई पार्टी जेसीसीजे भी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन रही है। दरअसल कांग्रेस के कई नेता जेसीसीजे में शामिल हो गए हैं। वहीं बीएसपी के टिकट पर पिछला चुनाव लड़े संतोष कौशिक भी जनता कांग्रेस में चले गए हैं। पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है।
कुल मिलाकर तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव त्रिकोणीय होगा तय है, लेकिन ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि बीजेपी किसे उम्मीदवार बनाती है। इन तीनों पार्टियों के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी की ओर से नया उम्मीदवार मैदान में होगा। आम आदमी पार्टी का प्रत्याशी भी चुनाव में होगा, लिहाजा पहले से कम मार्जिन वाला तखतपुर में 2018 का चुनाव और भी रोचक होने की संभावना है।
वेब डेस्क, IBC24

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