भोपाल का स्मार्ट सिटी में चयन हुए दो साल का समय बीत चुका है. शहर में स्मार्ट सिटी की करीब दर्जनभर योजनाएं चल भी रही हैं. लेकिन दो साल बाद भी एक भी प्रोजेक्ट पूरी तरह से आकार नहीं ले सका है. नतीजन न शहर की तस्वीर बदली और न ही लोग स्मार्ट हो सके.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी की पहली सूची में राजधानी भोपाल का चयन जरूर हुआ. लेकिन शहर में स्मार्ट सिटी की योजनाएं लागू करने में भोपाल काफी पीछे रह गया है. प्रस्तावित स्मार्ट सिटी की जगह पर पहला प्रोजेक्ट टीटीनगर में कर्मचारियों के लिए लागू किया गया. बहुमंजिला इमारत की सिर्फ प्लानिंग हो पाई.
भोपाल के 60 पार्किंग स्थलों में सीसीटीवी कैमरे, सेंसर के साथ अन्य अत्याधुनिक सुविधाएं लागू करने की घोषणा सालभर पहले हुई थी. काम शुरू हो चुका है. लेकिन पूरा होने में सालभर का समय लगेगा.
डिपो चौराहा से पॉलिटेक्निक चौराहा तक महज ढाई किलोमीटर लंबी सड़क तीस करोड़ से बनाने की नींव दिसंबर 2016 में रखी गई थी. अब जाकर रोड बनाने का काम शुरू हुआ है. 400 स्मार्ट पोल लगाए जाने की प्लानिंग डेढ़ साल पहले हुई थी. छह महीने पहले छह पोल लगे थे. इसके बाद काम में रुचि ही नहीं दिखी.
स्मार्ट सिटी के अधूरे प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस सवाल उठा रही है. तो महापौर आलोक शर्मा देश में सबसे तेजी से काम भोपाल में होने के दावा कर रहे हैं. ऐसा नहीं कि महापौर स्मार्ट सिटी के कामों की जमीनी हकीकत से अनजान हों. लेकिन सब कुछ जानकारी होने के बाद भी भोपाल को स्मार्ट सिटी के कामों के लिए देश में नंबर वन बताने में लगे हुए हैं.