भोपाल। मध्य प्रदेश के शराब कारोबारियों की परेशानी अब बढ़ने वाली है। क्योंकि अब इन कारोबारियों को आबकारी विभाग के अलावा अब खाद्य एवं औषधीय विभाग से भी लाइसेंस लेना होगा। इसके बिना शराब का व्यापार नहीं किया जा सकेगा। इससे नकली एवं मिलावटी शराब बेचने वालों पर भी अंकुश लगेगा। क्योंकि खाद्य विभाग केवल लाइसेंस ही नहीं बनाएगा। बल्कि कभी भी शराब दुकानों पर पहुंचकर शुद्धता की जांच के लिए सैम्पलिंग भी कर सकता है। नकली या मिलावटी शराब पाए जाने पर फूड सेफ्टी अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।
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आयुक्त खाद्य एवं औषधीय प्रशासन ने आबकारी आयुक्त को इस संबंध में पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि एल्कोहल पेय को खाद्य परिभाषा में शामिल किया गया है। इसलिए प्रदेश में संचालित सभी देशी व विदेशी शराब की रिटेल दुकाने, भंडार गृह, निर्माताओं को खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 की धारा 31 के अंतर्गत लाइसेंस, पंजीयन कराना अनिवार्य है। आबकारी आयुक्त को इस संबंध में सभी शराब कारोबारियों को निर्देशित करने के लिए कहा गया है।
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शराब खाद्य पदार्थ में शामिल है या नहीं इसको लेकर लंबे समय से बहस चल रही थी। निर्णय नहीं हो पाने के कारण मामला अटका हुआ था। ऐसे में शराब दुकानदारों को फरवरी 2018 तक की छूट दे दी गई थी। अब एल्कोहल पदार्थों को खाद्य पदार्थ में माना गया है और इसके बाद ही आबकारी आयुक्त को पत्र लिखकर सभी दुकानदारों को लाइसेंस लेने एवं पंजीयन कराने के आदेश जारी करने का आग्रह किया गया है। चूंकि छूट की अवधि खत्म हो चुकी है, ऐसे में लाइसेंस नहीं लेने वालों पर विभाग कार्रवाई भी कर सकता है।
वेब डेस्क, IBC24