भदोही के अब्दुल रहीम सिद्दीकी ने रामलीला मंचन के लिए अपनी पुश्तैनी जमीन दान कर मिसाल पेश की

भदोही के अब्दुल रहीम सिद्दीकी ने रामलीला मंचन के लिए अपनी पुश्तैनी जमीन दान कर मिसाल पेश की

  •  
  • Publish Date - December 20, 2025 / 12:57 AM IST,
    Updated On - December 20, 2025 / 12:57 AM IST

भदोही (उप्र) 19 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के गोपीगंज इलाके के एक गांव में रहने वाले पेशे से दर्जी अब्दुल रहीम सिद्दीकी उर्फ कल्लू ने हर साल होने वाली रामलीला के मंचन के लिए करीब तीन बिस्वा जमीन दान देकर एक मिसाल पेश की है।

गोपीगंज के बड़ागांव में हर साल रामलीला के आयोजन के लिए कोई निश्चित जगह की व्यवस्था नहीं होने के चलते पेश आने वाली परेशानी को देखकर 65 वर्षीय सिद्दीकी ने अपनी तीन बिस्वा पुश्तैनी ज़मीन ‘आदर्श राम लीला समिति बड़ागांव’ को दान कर दी है।

करीब छह हज़ार की आबादी वाले बड़ागांव में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग सभी तीज-त्यौहार हमेशा साथ मिलकर मनाते रहे हैं। सिद्दीकी गांव में होने वाली रामलीला में अक्सर भूमिकाएं निभाते रहे हैं और उनके इस योगदान से गांव के सभी लोग काफी खुश हैं।

गांव के बुजुर्ग पूर्व प्रधान राधेश्याम मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गांव में पिछले लगभग 94 साल से रामलीला का मंचन किया जा रहा है, लेकिन रामलीला स्थल के लिए कोई स्थान निर्धारित नहीं था। ऐसे में कई समस्याएं खड़ी होती थीं लेकिन गांव के ही अब्दुल रहीम सिद्दीकी ने आगे बढ़कर इस समस्या का स्थाई हल निकाल दिया है।

मिश्रा ने बताया कि सिद्दीकी पूर्व के रामलीला आयोजनों में कई पात्रों को निभा चुके हैं। हालांकि इधर के कुछ वर्षों से वह सिर्फ मंचन में देखरेख कर रहे हैं।

सिद्दीकी ने बातचीत में कहा कि उन्होंने अपनी मर्जी से अपनी पुश्तैनी जमीन राम लीला आयोजन समिति को दान में दी है और बाकायदा इसके कागज़ात भी आदर्श राम लीला समिति के नाम पर बनवा दिये हैं।

आदर्श रामलीला समिति बड़ागांव के सचिव विनय शुक्ला ने बताया कि सिद्दीकी द्वारा दान की गई जमीन पर रामलीला मंचन के लिए मंच तथा अन्य निर्माण का काम शुरू हो गया है। मंगलवार को सभी औपचारिकता पूरी कर विधि विधान से पूजा पाठ करके नींव खोदने का काम शुरू कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि रामलीला मंचन के लिए स्थाई समाधान निकलने पर नींव खुदाई के दौरान ही हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदायों के लोगों ने सात लाख रुपये इकठ्ठा कर निर्माण के लिए दे दिये हैं।

भाषा सं आनन्द शफीक

शफीक