अखिलेश ने सरकार पर महाकुंभ भगदड़ में मरने वालों की संख्या छुपाने का आरोप लगाया

अखिलेश ने सरकार पर महाकुंभ भगदड़ में मरने वालों की संख्या छुपाने का आरोप लगाया

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Modified Date: June 10, 2025 / 02:12 PM IST
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Published Date: June 10, 2025 2:12 pm IST

लखनऊ, 10 जून (भाषा) समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार पर प्रयागराज महाकुंभ के दौरान इस साल 29 जनवरी को मची भगदड़ में मरने वालों की वास्तविक संख्या को लेकर झूठ बोलने का मंगलवार को आरोप लगाया और पीड़ित परिवारों को मुआवजा वितरण को लेकर गंभीर सवाल उठाए।

यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बीबीसी की एक खबर के हवाले से यह टिप्पणी की। इस खबर में दावा किया गया है कि भगदड़ में 82 लोगों की मौत हुई थी जबकि सरकार ने 37 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने ”तथ्य बनाम सत्य : 37 बनाम 82’ शीर्षक से लिखे पोस्ट में कहा, “सब देखें, सुनें, जानें-समझें और साझा करें। सत्य की केवल पड़ताल नहीं, उसका प्रसार भी उतना ही ज़रूरी होता है।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए यादव ने कहा, ‘भाजपा आत्म-मंथन करे और भाजपाई भी और साथ ही उनके समर्थक भी कि जो लोग किसी की मृत्यु के लिए झूठ बोल सकते हैं, वो झूठ के किस पाताल-पर्वत पर चढ़कर अपने को, अपने मिथ्या-साम्राज्य का मुखिया मान रहे हैं। झूठे आंकड़े देने वाले ऐसे भाजपाइयों पर विश्वास भी विश्वास नहीं करेगा।”

उन्होंने कहा,”सवाल सिर्फ़ आंकड़े छिपाने का नहीं है, सदन के पटल पर असत्य बोलने का भी है।”

यादव ने भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को नकद में मुआवज़ा देने पर सवाल उठाते हुए पूछा कि रकम नकद क्यों दी गई और यह नकद कहां से आया था?

सपा प्रमुख ने सवाल किया कि जो नकद राशि वितरित नहीं हो सकी, वो पैसा “किसके हाथ” में वापस गया?

उन्होंने यह भी पूछा, “नक़दी देने का निर्णय किस नियम के तहत हुआ? नक़दी का वितरण किसके आदेश पर हुआ? नक़दी के वितरण का लिखित आदेश कहां है? नक़दी वितरण में क्या कोई अनियमितता हुई? और साथ ही यह भी कि मृत्यु के कारण को बदलवाने का दबाव किसके कहने पर बनाया गया?

सपा प्रमुख ने लिखा,”ये रिपोर्ट अंत नहीं, महाकुंभ में हुई मृत्युओं और उनसे जुड़े पैसों के महासत्य की खोज का आरंभ है। सत्य जब उजागर होता है, तो झूठ की परत-दर-परत खुलती है, जो स्वांग के हर चोगे और मुखौटे को उतारती जाती है, परदे उठाती जाती है। झूठ का कोई भी सूचना-प्रबंधन ऐसे सत्य को बाहर आने से नहीं रोक सकता।”

भाषा जफर मनीषा नोमान

नोमान

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)