Allahabad High Court : ‘लिव-इन रिलेशनशिप केवल टाइम पास’..! इलाहाबाद हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी, जानें ऐसा क्यों कहा..

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप पर बड़ी टिप्पणी की है!Allahabad High Court's comment on live-in relationship

Allahabad High Court : ‘लिव-इन रिलेशनशिप केवल टाइम पास’..! इलाहाबाद हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी, जानें ऐसा क्यों कहा..

Allahabad High Court's comment on live-in relationship

Modified Date: October 24, 2023 / 04:04 pm IST
Published Date: October 24, 2023 4:04 pm IST

Allahabad High Court’s comment on live-in relationship : प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप पर बड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने लिव इन में रह रही एक हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के की याचिका पर सुनवाई करते हुए लिव-इन रिलेशनशिप को टाइम पास जैसा करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता जरूर दी है, लेकिन ऐसे रिश्तों में ईमानदारी से ज्यादा एक दूसरे के लिए मोह या आकर्षण ही होता है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में लिव-इन रिलेशनशिप को बेहद नाजुक और अस्थाई बताते हुए दोनों की याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने इसी टिप्पणी के साथ पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाले एक लिव-इन जोड़े की याचिका खारिज कर दी।

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Allahabad High Court’s comment on live-in relationship : कोर्ट ने कहा, जीवन फूलों की सेज नहीं, बहुत कठिन व मुश्किल है। कोर्ट ने प्राथमिकी रद करने तथा सुरक्षा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है और हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी तथा न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने कुमारी राधिका व सोहैल खान की याचिका पर दिया है। याची ने कहा, दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं। इसलिए अपहरण के आरोप में राधिका की बुआ द्वारा मथुरा के रिफाइनरी थाने में दर्ज कराई गई प्राथमिकी रद की जाए और गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पुलिस संरक्षण दिया जाए।

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कोर्ट ने कहा, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता दी है किंतु, दो महीने की अवधि में और वह भी 20-22 साल की उम्र में युगल इस प्रकार के अस्थायी रिश्ते पर शायद ही गंभीरता से विचार कर पाएंगे। खंडपीठ ने कहा, ‘न्यायालय का मानना है कि इस प्रकार के रिश्ते में स्थिरता और ईमानदारी की तुलना में लगाव अधिक है। जब तक जोड़े शादी करने का फैसला नहीं करते हैं और अपने रिश्ते को नाम नहीं देते हैं या वे एक-दूसरे के प्रति ईमानदार नहीं होते हैं, तब तक अदालत इस प्रकार के रिश्ते में कोई राय व्यक्त करने से कतराएगी और बचेगी।’

 

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लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years