इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मदरसों को बंद करने के नोटिस को किया रद्द

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मदरसों को बंद करने के नोटिस को किया रद्द

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मदरसों को बंद करने के नोटिस को किया रद्द
Modified Date: August 21, 2025 / 09:48 pm IST
Published Date: August 21, 2025 9:48 pm IST

लखनऊ, 21 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बृहस्पतिवार को श्रावस्ती जिले के ढाई दर्जन से अधिक मदरसों को बंद करने के लिए जारी किए गए नोटिस को रद्द कर दिया।

हालांकि, पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को कानून के अनुसार नये नोटिस जारी करने की छूट प्रदान की।

न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने मदरसा मोइनुल इस्लाम क़समिया समिति और अन्य मदरसों द्वारा अलग-अलग दायर की गयी रिट याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया।

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पीठ ने इससे पहले पांच जून, 2025 को इन नोटिसों पर रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश पारित किया था।

आदेश पारित करते हुए, पीठ ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील पर विचार किया कि मदरसों को बंद करने का निर्देश देने से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था।

पीठ के समक्ष यह भी रखा गया कि नोटिस बिना सोचे-समझे जारी किए गए थे क्योंकि सभी नोटिसों में एक ही नंबर था।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी, ‘‘राज्य प्रशासन ने मदरसों को अपनी बात रखने का कोई अवसर दिए बिना ही उनके खिलाफ कार्रवाई की है और इसलिए राज्य की यह कार्रवाई पूरी तरह से अवैध और दुर्भावनापूर्ण है।’’

इन दलीलों का विरोध करते हुए, राज्य सरकार ने कहा कि यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश गैर-सरकारी अरबी और फ़ारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा नियमावली, 2016 के तहत की गई थी और राज्य की कार्रवाई में कोई अवैध बातें नहीं थीं।

उच्च न्यायालय ने माना कि नोटिस त्रुटिपूर्ण थे और मदरसों के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया था। इसी के साथ पीठ ने नोटिस को रद्द कर दिया और राज्य सरकार को, यदि वह चाहे तो, नया आदेश पारित करने की छूट दी।

भाषा सं जफर

राजकुमार

राजकुमार


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