सहयोगी दल ने उठाए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल

सहयोगी दल ने उठाए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल

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  • Publish Date - June 29, 2022 / 05:17 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:43 PM IST

बलिया (उत्तर प्रदेश), 29 जून (भाषा) उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोक सभा सीटों के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की पराजय के बाद पार्टी के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए हैं।

राजभर ने बुधवार को जिले के रसड़ा में पार्टी के प्रधान कार्यालय पर संवाददाताओं से बातचीत में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपने दम पर नहीं बल्कि अपने पिता मुलायम सिंह यादव की कृपा से मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में हुआ था मगर ताज अखिलेश के सिर सजा।

उन्होंने अखिलेश की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘अखिलेश यादव के नेतृत्व में वर्ष 2014, 2017, 2019 और 2022 में लोकसभा व विधानसभा के जो भी चुनाव हुए, सभी में सपा पराजित हुई। उपचुनाव व विधान परिषद के चुनाव में भी सपा हारी है। अखिलेश यादव स्वयं स्पष्ट करें कि अभी तक एक भी चुनाव में उन्हें जीत क्यों नहीं हासिल हुई।’

राजभर ने अखिलेश यादव को वातानुकूलित कमरों से निकलकर क्षेत्र में काम करने की सलाह देते हुए पूछा, ‘अखिलेश यादव बतायें कि उन्होंने अभी तक धरातल पर क्या कार्य किया है। उन्होंने अभी तक कितने गांवों में बैठक की है। हाल के लोकसभा उपचुनाव में सपा ने स्वयं अपने पैर में कुल्हाड़ी मार ली। जिस पार्टी का मुखिया चुनाव प्रचार में नहीं जायेगा, वह पार्टी क्या चुनाव लड़ेगी? ‘

वर्ष 2024 में भाजपा द्वारा उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने की संभावना संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावे के बारे में पूछे जाने पर राजभर ने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं के रवैये में बदलाव नहीं आया तो भाजपा उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीट जीत सकती है।

उन्होंने इसके साथ ही कहा कि उत्तर प्रदेश में संविधान और आरक्षण की रक्षा तथा पिछड़े वर्ग व दलितों के हित में बसपा, सपा तथा अन्य सभी विपक्षी दलों को एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए।

राजभर ने एक सवाल पर सलाह देते हुए कहा कि अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश में 2024 में होने वाले लोकसभा के आम चुनाव में 80 सीट में से 60 सीट पर स्वयं व 20 सीट पर सहयोगी दलों को चुनाव लड़ाना चाहिए।

भाषा सं सलीम रंजन

रंजन