Chandrashekhar Azad on Maha Kumbh: पहले दो लाइन तारीफ.. फिर कसा सरकार पर तंज, महाकुंभ को लेकर चंद्रशेखर आजाद ने किया ऐसा पोस्ट, गरमाई सियासत

पहले दो लाइन तारीफ.. फिर कसा सरकार पर तंज, Chandrashekhar Azad on Maha Kumbh: MP takes a dig at Yogi government

Chandrashekhar Azad on Maha Kumbh: पहले दो लाइन तारीफ.. फिर कसा सरकार पर तंज, महाकुंभ को लेकर चंद्रशेखर आजाद ने किया ऐसा पोस्ट, गरमाई सियासत

Prayagraj Mahakumbh Stampede Update | Source : File Photo

Modified Date: January 13, 2025 / 01:50 pm IST
Published Date: January 13, 2025 1:50 pm IST

लखनऊः Chandrashekhar Azad on Maha Kumbh उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आज से कुंभ मेले का शुभारंभ हो चुका है। देश-दुनिया के लाखों श्रद्धालुओं ने पहले ही दिन पवित्र संगम तट पर आस्था की डूबकी लगाई। इधर, महाकुंभ मेले को लेकर जारी सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। उत्तर प्रदेश स्थित नगीना से आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने महाकुंभ मेले को लेकर योगी सरकार की तारीफ करते हुए तंज कसा है।

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उन्होंने अपने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि सरकार के पास इतनी शक्ति होती है कि जब सरकार ठान लेती है, तो असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। 6 महीने में रेत पर इस तरह एक शहर बसाना भी इसी शक्ति का उदाहरण है, जो दर्शाता है कि अगर सरकार चाहती है, तो किसी भी बड़ी चुनौती का समाधान किया जा सकता है। आजाद ने सरकार की प्राथमिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि लेकिन जब बात आती है देश के गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़े, दलित, आदिवासी और महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा की, तो सवाल उठता है कि यदि इन आयोजनों को इतने बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जा सकता है, तो शिक्षा, चिकित्सा, महिलाओं की सुरक्षा, रोजगार और बच्चों के भविष्य के लिए क्यों नहीं इस तरह की इच्छाशक्ति दिखाई जा रही है।

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Chandrashekhar Azad on Maha Kumbh उन्होंने आगे लिखा कि झांसी में आग लगने से नवजात बच्चों की मौत और ऑक्सीजन की कमी से बच्चों का दम तोड़ना—ये घटनाएँ साफ दिखाती हैं कि जनता की जान और उनके बुनियादी अधिकार हमारी प्राथमिकताओं में कहीं पीछे रह गए हैं। क्या हमारी प्राथमिकताएँ गलत हैं? क्या सामाजिक उत्थान की दिशा में गंभीरता की कमी है? क्या व्यापक जनकल्याण में सरकार से हमारे द्वारा सवाल करना गलत है? यदि समाज के वंचित तबकों के उत्थान के लिए भी उसी दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति से काम किया जाए, तो एक स्थायी बदलाव संभव है। जय भीम, जय भारत, जय संविधान।

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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।