हरियाली तीज पर मथुरा के मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़
हरियाली तीज पर मथुरा के मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़
मथुरा (उप्र), 27 जुलाई (भाषा) मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में रविवार को हरियाली तीज के अवसर पर भक्तों ने बांके बिहारी और राधा रानी के दर्शन किये और आशीर्वाद लिया।
बांके बिहारी मंदिर के सेवायत ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मंदिर में आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आए। हरे रंग के परिधान में बांके बिहारी महाराज ने राधा रानी के साथ सोने-चांदी से बने हिंडोला (झूले) पर भक्तों को दर्शन दिये।
गोस्वामी ने हरियाली तीज के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि धार्मिक दृष्टिकोण के अलावा इस अनुष्ठान का भारत की स्वतंत्रता से भी संबंध है क्योंकि यह परंपरा 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के दिन शुरू हुई थी।
उन्होंने बताया, ”पहले हिंडोला के दर्शन केवल शाम को ही होते थे, लेकिन 2016 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद हिंडोला के दर्शन अब सुबह और शाम दोनों समय किये जा सकते हैं। आज ठाकुर जी के प्रसाद में घेवर और फेनी दो विशेष सामग्री जोड़ी गई है।”
मंदिर के सेवायत और विद्वान प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया, ”यह झूला लगभग 79 साल पहले वृंदावन में वाराणसी के दो सुनारों ने एक लाख तोला चांदी और 10 हजार तोला सोने से तैयार किया था।”
वृंदावन के ‘सप्त देवालय’ (सात प्राचीन मंदिर) में भी हरियाली तीज मनाई जाती है।
राधारमण मंदिर (वृंदावन) में यह दिन 485 साल पुराने उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है, जिसका समापन रक्षाबंधन के दिन होता है।
मंदिर के सेवायत दिनेश चंद्र गोस्वामी ने बताया, ”राधारमण जी हरे वस्त्र और पगड़ी धारण किए हुए हैं और मंदिर में रखे स्वर्ण झूले में दर्शन दे रहे हैं। अगले दो दिनों तक भगवान स्वर्ण झूले में दर्शन देंगे। उसके बाद वह तीन दिनों तक चांदी के झूले में और उसके बाद अन्य प्रकार के झूलों में दर्शन देंगे।”
उन्होंने बताया कि आज भगवान को एक विशेष भोग प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसमें घेवर और फेनी अनिवार्य रूप से शामिल होती है। हालांकि सावन माह में ‘पुआ’ नामक मीठी पूड़ी चढ़ाई जाती है।
द्वारिकाधीश मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने बताया कि मंदिर में सावन माह की शुरुआत से ही मंदिर प्रांगण में चांदी के दो विशाल और सोने का एक विशाल झूला लगाया जाता है तथा ये नंदोत्सव तक वहीं रहेंगे। आज झूलों को फलों और फूलों से सजाया जाता है। अलग-अलग तिथियों पर फलों, फूलों, पत्तियों, जरी, मखमल आदि के सुंदर झूले लगाए जाते हैं।
राकेश तिवारी ने बताया कि मंदिर को अलग-अलग रंगों के कपड़ों से सजाया गया है जिनमें से हर कपड़ा भगवान श्रीकृष्ण की अलग-अलग लीलाओं से जुड़ा है।
मथुरा के जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे इस त्योहार को बिना प्लास्टिक का इस्तेमाल किए मनाएं और स्वच्छता बनाए रखें।
जिलाधिकारी सिंह ने कहा, ”श्रद्धालुओं की सुरक्षा से समझौता किए बिना श्री बांके बिहारी जी के सुचारू दर्शन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है। सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट को श्रद्धालुओं की आवाजाही में निरंतरता बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।”
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने कहा, ”पूरे क्षेत्र को चार जोन और 22 सेक्टर में विभाजित किया गया है और मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी इसकी निगरानी करते हैं। यातायात जाम को रोकने के लिए एक यातायात योजना लागू है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए होल्डिंग क्षेत्र और पार्किंग स्थलों की पहचान की गई है।”
भाषा
सं, सलीम, रवि कांत
शुभम रवि कांत

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