भाजपा के बाजार में बिजली विभाग बिकेगा और जनता की जेब पर डाका पड़ेगा : अखिलेश यादव

भाजपा के बाजार में बिजली विभाग बिकेगा और जनता की जेब पर डाका पड़ेगा : अखिलेश यादव

भाजपा के बाजार में बिजली विभाग बिकेगा और जनता की जेब पर डाका पड़ेगा : अखिलेश यादव
Modified Date: July 12, 2025 / 06:12 pm IST
Published Date: July 12, 2025 6:12 pm IST

लखनऊ, 12 जुलाई (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भाजपा के बाजार में अब बिजली विभाग बिकेगा और जनता की जेब पर डाका पड़ेगा।

सपा मुख्यालय की ओर से जारी एक बयान में पार्टी प्रमुख यादव ने कहा कि “भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के बाजार में अब बिजली विभाग बिकेगा और जनता की जेब पर निजी कंपनियों के भारी भरकम बिल डाका डालेंगे।”

यादव ने कहा, “भाजपा के राज में बिजली उत्पादन और वितरण में कोई तरक्की नहीं हुई है, जब जनता विरोध करती है तो भाजपा के लोगों को कोई जवाब देते नहीं बनता, सबकी बत्ती गुल हो जाती है।”

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उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है।

यादव ने दावा किया कि भाजपा सरकार के नौ साल के कार्यकाल में एक भी यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं बढ़ा है, केवल बिजली का बिल बढ़ाया गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रदेश में बिजली को लेकर हाहाकार है, प्रदेश भर में बिजली की अघोषित कटौती हो रही है। धान की रोपाई का समय चल रहा है, लेकिन किसानों को बिजली नहीं मिल रही है। छोटे शहरों और गांवों में बिजली की स्थिति बेहद खराब है।”

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार जानबूझकर बिजली व्यवस्था खराब कर रही है, क्योंकि सरकार बिजली विभाग को निजी हाथों में बेचने की तैयारी कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि भाजपा की दिल्ली की सरकार हो या उत्तर प्रदेश की सरकार दोनों सब कुछ बेचने पर उतारू हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि सरकार बिजली की खराब स्थिति का ठीकरा कर्मचारियों के सिरफोड़ कर निजीकरण करने की जमीन तैयार कर चुकी है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आज जनता को जो भी बिजली मिल रही है, वह समाजवादी पार्टी की सरकार में लगाये गये “ऊर्जा संयंत्रों” से मिल रही है।

यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी सरकारी विभागों के निजीकरण के खिलाफ है और प्रदेश की जनता भाजपा की कथनी करनी के अंतर को समझ चुकी है।

भाषा

आनन्द, रवि कांत रवि कांत


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