उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जाली दस्तावेजों पर चल रहा है मदरसा, प्राथमिकी दर्ज

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जाली दस्तावेजों पर चल रहा है मदरसा, प्राथमिकी दर्ज

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जाली दस्तावेजों पर चल रहा है मदरसा, प्राथमिकी दर्ज
Modified Date: August 21, 2025 / 07:31 pm IST
Published Date: August 21, 2025 7:31 pm IST

कुशीनगर (उप्र) 21 अगस्त (भाषा) कुशीनगर जिले में वर्षों से फर्जी दस्तावेज पर चल रहे एक मदरसे का भंडाफोड़ हुआ है जिसका प्रबंधक कूटरचित कागजात प्रस्तुत कर वर्षों से सरकारी पैसे का दोहन कर रहा था। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने पाया है कि यह मदरसा वर्षों से जाली दस्तावेजों पर चल रहा था और अपनी जमीन न होने के बावजूद सरकारी धनराशि भी ले रहा था।

ज़िलाधिकारी के आदेश पर हुई जांच के अनुसार, अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम (धनौजी खुर्द, फाजिलनगर) नामक मदरसे को 1996 में सहायता राशि दी गई थी, लेकिन वह ग्राम सभा की अतिक्रमित जमीन पर चल रहा था।

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जांच का नेतृत्व कर रहे अपर ज़िला मजिस्ट्रेट (वित्त एवं राजस्व) वैभव मिश्रा ने कहा, ‘‘जांच के दौरान, यह पता चला कि मदरसा प्रबंधन वर्षों से जाली दस्तावेज़ पेश कर रहा था और सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहा था।’’

राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य फूलबदन कुशवाहा की शिकायत के बाद जांच शुरू की गई। मिश्रा के निर्देश पर, मदरसा प्रबंधक सेराज अहमद और उपजिलाधिकारी (एसडीएम) अदालत के तत्कालीन रीडर (पेशकार) राहुल कुमार चतुर्वेदी के खिलाफ कसया थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

अधिकारियों ने बताया कि मामला तब सामने आया जब 24 जुलाई, 2023 को एसडीएम रत्निका श्रीवास्तव के कार्यमुक्त होने के एक दिन बाद, उनके तत्कालीन रीडर राहुल चतुर्वेदी ने कथित तौर पर पिछली तारीख का एक जाली आदेश जारी किया और उसे सरकारी पोर्टल पर अपलोड कर दिया।

जांच अधिकारी ने बताया, ‘‘इस तरह धोखाधड़ी पकड़ी गई।’’

मिश्रा ने कहा कि राजस्व बोर्ड के सहयोग से की गई जांच में केस रिकॉर्ड में हेराफेरी और फर्जी डिजिटल आदेशों का खुलासा हुआ।

उन्होंने कहा,‘‘ऑर्डर शीट में कोई यूआरएल, पृष्ठ संख्या या दिनांक-समय विवरण नहीं था, जैसा कि पोर्टल से तैयार किए गए दस्तावेजों में अनिवार्य है। यहां तक कि कोर्ट का नाम, केस नंबर और धाराएं भी जाली थीं।’’

यह भी पाया गया कि सुनवाई की तारीखें पिछली तारीख की थीं और ‘ऑर्डर शीट’ पर पीठासीन अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर थे।

मिश्रा ने कहा,‘‘इस पूरे प्रकरण ने लाभार्थियों और स्थानीय राजस्व कर्मचारियों के बीच मिलीभगत को उजागर किया है।’’

रिपोर्ट के बाद, ज़िलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने मामले के रिकॉर्ड दुरुस्त करने के निर्देश दिए और तत्कालीन रीडर चतुर्वेदी को निलंबित कर दिया।

अधिकारियों ने बताया कि 20 अगस्त को कसया थाने में उनके और मदरसा प्रबंधक अहमद के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया।

भाषा सं जफर राजकुमार

राजकुमार


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