आवारा मवेशियों की समस्या पर विशेष ध्यान दे रही हैं उप्र सरकार से सहायता प्राप्त गौशालाएं

आवारा मवेशियों की समस्या पर विशेष ध्यान दे रही हैं उप्र सरकार से सहायता प्राप्त गौशालाएं

आवारा मवेशियों की समस्या पर विशेष ध्यान दे रही हैं उप्र सरकार से सहायता प्राप्त गौशालाएं
Modified Date: May 19, 2024 / 12:19 am IST
Published Date: May 19, 2024 12:19 am IST

(संजय कुमार सिन्हा)

जालौन (उप्र), 18 मई (भाषा) भले ही उत्तर प्रदेश सरकार आवारा पशुओं की समस्या पर विशेष ध्यान दे रही है, लेकिन मौजूदा लोकसभा चुनावों में लावारिस गोवंश प्रमुख मुद्दों में से एक है।

गाय जब दूध देना बंद कर देती हैं तो उनके मालिक उन्हें सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं। वे किसानों की खड़ी फसलों को नष्ट कर देती हैं और सड़क दुर्घटनाओं का कारण भी बनती हैं।

 ⁠

आवारा पशुओं का मामला 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी(सपा) द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों में शामिल था और मौजूदा चुनाव में भी चुनावी मुद्दा बना हुआ है।

जालौन जिले के कदौरा गांव में, राज्य सरकार की सहायता से महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा चलाई जा रही दो गौशालाएं आवारा मवेशियों को आश्रय दे रही हैं और उन्हें चारा और चिकित्सा सहायता प्रदान कर रही हैं।

तीन साल पहले शुरू हुए गैर सरकारी संगठन गृह महिला बाल विकास सेवा संस्थान द्वारा संचालित गौशाला में नगर पालिका द्वारा लगभग 200 जानवर रखे गए हैं। मवेशियों के बेहतर प्रबंधन के लिए गौशाला प्रौद्योगिकी की भी मदद लेती है।

संस्था की विनीता पांडेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “हम समर्पित रूप से गौ सेवा कर रहे हैं और यह काम पैसे कमाने के लिए नहीं है। मवेशियों को जियो टैग किया गया है और जिला प्रशासन सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से मवेशियों की देखभाल पर नजर रखता है।”

गौशाला में सरकारी पशु चिकित्सक नियमित रूप से आते हैं। हालांकि कई बार देखभाल करने वालों को निजी पशु चिकित्सकों की मदद लेनी पड़ती है।

उन्होंने कहा, ‘समस्या यह है कि ये पशु चिकित्सक केवल अपनी ड्यूटी के समय ही उपलब्ध रहते हैं। हमें विषम समय में निजी पशु चिकित्सक से संपर्क करना पड़ता है और उन्हें अपने फंड से भुगतान करना पड़ता है।’

जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”मैं खुद गौशाला के संचालन पर नजर रखता हूं और देखभाल करने वालों को उनकी समस्या के प्रति सचेत करता हूं।”

पांडेय ने कहा, ‘जिला प्रशासन ने एक गोबर गैस संयंत्र स्थापित किया है। संयंत्र को व्यावसायिक रूप से चलाया जाएगा।”

‘कान्हा गौशाला कदौरा‘ की अन्य गौशाला में गायों, बैलों और बछड़ों सहित लगभग 300 पुश हैं।

कान्हा गौशाला ने बीमार पशुओं के पोषण के लिए एक अलग जगह रखी है। गौशाला चलाने के लिए गाय का गोबर बेचा जाता है।

जानवरों को चारा उपलब्ध कराने के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गयी है। वहां रखे गए जानवरों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

साल 2019 की पशुधन गणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 1.90 करोड़ से अधिक मवेशी हैं, जिनमें 62,04,304 दुधारू गायें और 23,36,151 गैर दुधारू गायें शामिल हैं।

पिछली गणना की तुलना में 2019 में देशी मादा मवेशियों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में जालौन सहित उत्तर प्रदेश की 14 सीट पर 20 मई को मतदान होगा।

भाषा संजय आनन्द नोमान

नोमान


लेखक के बारे में