राप्ती नदी की तरह भारतीय ज्ञान परंपरा को सींच रहा है गोरखपुर विश्वविद्यालय : राजनाथ सिंह |

राप्ती नदी की तरह भारतीय ज्ञान परंपरा को सींच रहा है गोरखपुर विश्वविद्यालय : राजनाथ सिंह

राप्ती नदी की तरह भारतीय ज्ञान परंपरा को सींच रहा है गोरखपुर विश्वविद्यालय : राजनाथ सिंह

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:05 PM IST, Published Date : May 1, 2022/10:42 pm IST

गोरखपुर (उप्र) एक मई (भाषा) रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को गोरखपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय (गोरखपुर विश्वविद्यालय) के पहले पुरातन छात्र सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा को राप्ती नदी की तरह सींच रहा है।

विश्वविद्यालय में आयोजित पहले पुरातन छात्र सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि ऑनलाइन संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘ गोरखपुर विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा को राप्ती नदी की तरह सींच रहा है।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं दुनिया में जहां कहीं भी जाता हूं मेरी पहचान गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में होती है।”

उल्लेखनीय है कि गोरखपुर शहर राप्ती नदी के किनारे बसा है और इसका आध्यात्मिक और सांस्‍कृतिक महत्‍व है। गोरखपुर में विश्वविद्यालय की नींव आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने रखी थी और इसमें गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ का महत्वपूर्ण योगदान था।

गोरखपुर विश्वविद्यालय का नाम बाद में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया। सिंह ने कहा, ‘विश्वविद्यालय द्वारा मुझे दिया गया विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार मेरे लिए ‘प्रसाद’ जैसा है।’’ उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन के छह वर्षों के दौरान, मैंने छात्र संघ की राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया।

उन्होंने इस अवसर पर अपने शिक्षकों और विश्वविद्यालय के गौतम बुद्ध छात्रावास में बिताए दिनों को भी याद किया।

रक्षा मंत्री ने प्रोफेसर एलबी सिंह, प्रोफेसर राम अचल सिंह, प्रोफेसर देवेंद्र शर्मा, प्रोफेसर उदयराज राय जैसे अपने शिक्षकों को याद किया और अपने पीएचडी गाइड प्रोफेसर एलबी सिंह को श्रद्धांजलि दी।

मजदूर दिवस के मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा कि कोई देश तभी विकसित होता है जब उसके मजदूरों को सम्मान मिले।

उन्होंने नयी शिक्षा नीति की भी प्रशंसा की और कहा कि यह नीति नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देती है।

भाषा सं आनन्द धीरज

धीरज

 

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