(मनीष चंद्र पांडेय)
लखनऊ, 12 फरवरी (भाषा) जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्मगुरुओं संग महाकुंभ में मंथन करने का फ़ैसला किया है।
यह पूछे जाने पर कि धर्म गुरु ही क्यों? इस पर राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”क्योंकि ये धर्मगुरु विचारशील नेता भी हैं, जिनके पास सामाजिक चेतना को प्रभावित करने की शक्ति है।”
उत्तर प्रदेश सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, ‘आई फॉरेस्ट’ के साथ साझेदारी में ‘कुंभ की आस्था और जलवायु परिवर्तन’ शीर्षक से एक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। 16 फरवरी को महाकुंभ में होने वाले इस सम्मेलन में धर्म गुरु और विशेषज्ञ शामिल होंगे।
‘आई फॉरेस्ट’ पर्यावरण, स्थिरता और प्रौद्योगिकी के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच है।
‘पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन शमन में धर्म गुरुओं की भूमिका’ पर एक सत्र में विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे ‘धर्म गुरु’ इस जटिल मुद्दे का समाधान खोजने में मदद कर सकते हैं। अन्य विषय जैसे ‘जलवायु कार्रवाई में आस्था-आधारित संगठनों को बढ़ावा देने और समर्थन करने में सरकारों की भूमिका, आपदा राहत, अनुकूलन और शमन में धार्मिक संगठनों की भूमिका, पवित्र नदियाँ, जल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन, और मिशन लाइफ़ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) को बढ़ावा देने पर सभी धर्म गुरुओं को विशेषज्ञों के साथ मंथन करते देखा जा सकता है।
मुख्य सचिव ने कहा, “हमने लंबे समय से विभिन्न कारणों से लोगों को प्रभावित करने के लिए धर्म गुरुओं का सहयोग लिया है। अलीगढ़ और मुरादाबाद में जिलाधिकारी (डीएम) के रूप में, मुझे पल्स पोलियो पर समर्थन के लिए धर्मगुरुओं की मदद लेना याद है।”
कुमार ने कहा, “अब जलवायु परिवर्तन से बड़ा और बेहतर मुद्दा क्या हो सकता है? ये संत प्राचीन ज्ञान के भंडार हैं और हम उनकी अंतर्दृष्टि से लाभ उठाने का इरादा रखते हैं।”
मुख्य सचिव ने कहा, “उनमें से कई चुपचाप इस कार्य को कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, मैंने महाकुंभ में एक संत को अपने अनुयायियों को याद दिलाते हुए देखा कि यदि वे प्लास्टिक की बोतलें और अन्य कचरा नदियों में फेंकेंगे तो पवित्र स्नान व्यर्थ होगा। इसलिए इस संत ने चतुराई से अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए भक्तों को याद दिलाया कि ‘पुण्य’ तभी मिलेगा जब वे यह सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभाएंगे कि गंगा और अन्य नदियां स्वच्छ रहें।”
उन्होंने कहा, “प्रकृति के साथ मानव के अलगाव ने जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को जन्म दिया है, जिसका अर्थ है कि सही मार्गदर्शन के साथ, हमारे पास इसे उलटने की भी शक्ति है। यहीं पर ये धर्म गुरु बिल्कुल फिट बैठते हैं।”
उप्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “जलवायु संकट एक आध्यात्मिक संकट भी है क्योंकि यह पर्यावरण के साथ मानव अलगाव को इंगित करता है, जिसने इस तरह के मुद्दों को जन्म दिया है।”
अनिल कुमार ने कहा, “ सोलह फरवरी को आयोजित होने वाला सम्मेलन यह साबित करेगा कि धार्मिक समुदाय अपने नैतिक अधिकार और जमीनी स्तर के कनेक्शन के साथ-जलवायु संकट से निपटने में अपरिहार्य सहयोगी हैं।”
इस अनूठे मिलन समारोह में परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती जैसे धार्मिक गुरु शामिल होंगे, वहीं ब्रह्माकुमारीज से बहन बीके मनोरमा, जगद्गुरु कृपालु योग ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी मुकुंदानंद, कैलाश मानसरोवर से आचार्य हरि दास गुप्ता, प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, राम कृष्ण मिशन आश्रम, कानपुर के सचिव स्वामी आत्मश्रद्धानंद और इस्कॉन के सदस्य गौर गोपाल दास जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से निपटने के लिए आगे का रास्ता सुझायेंगे। इसमें नागरिक समाज की आवाजें जैसे डॉ. चंद्र भूषण (सीईओ, आईफॉरेस्ट), डॉ. राजेंद्र सिंह (वॉटरमैन ऑफ इंडिया), उपेन्द्र त्रिपाठी (राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान, राजेंद्र रत्नू (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) और श्री आरआर रश्मी (टीईआरआई)) और अन्य जैसे उल्लेखनीय शिक्षाविदों समेत अन्य प्रतिभागी शामिल होंगे। इस विमर्श में उद्योग जगत के नेता जैसे अमरेंदु प्रकाश (अध्यक्ष, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) और अनिल कुमार जैन (अध्यक्ष, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड) भी पैनल चर्चा में भाग लेंगे।
भाषा
मनीष, आनन्द, रवि कांत रवि कांत