उच्च न्यायालय ने रामचरित मानस की चौपाइयों की व्याख्या के लिए सपा नेता मौर्य की खिंचाई की
उच्च न्यायालय ने रामचरित मानस की चौपाइयों की व्याख्या के लिए सपा नेता मौर्य की खिंचाई की
लखनऊ, छह नवंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों की व्याख्या के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की खिंचाई की और कहा कि इन्हें सही परिप्रेक्ष्य में समझना जाना चाहिये।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा कि मौर्य को कई विद्वानों के स्पष्टीकरण से अलग अपनी स्वतंत्र व्याख्या देने का अधिकार है लेकिन वह ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते जिससे किसी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हों।
न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कथित तौर पर रामचरितमानस की प्रतियां जलाने के मामले में प्रतापगढ़ अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग करने वाली मौर्य की याचिका को खारिज करते हुए अपने फैसले में उपरोक्त टिप्पणी की।
आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है और इसलिए, निचली अदालत की कार्यवाही को रद्द नहीं किया जा सकता है।
इससे पहले मौर्य ने चौपाइयों की अपनी विवादास्पद व्याख्याओं का बचाव किया था और पीठ को यह समझाने की कोशिश की थी कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।
वकील संतोष कुमार मिश्रा की शिकायत के आधार पर मौर्य, सपा विधायक आरके वर्मा और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
भाषा सं आनन्द शोभना
शोभना

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