(गुंजन शर्मा)
(फोटो के साथ)
वाराणसी (उप्र), 21 फरवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुंभ का अनुभव करने और इसके आसपास के धार्मिक क्षेत्र के भ्रमण पर आए कारीगर, महिला उद्यमी, केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों से लेकर व्यापारियों, किसानों और स्वयं सहायता समूह के संचालकों सहित तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से 1,200 से अधिक प्रतिनिधि सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान की यात्रा पर हैं।
यह इतिहास की पुस्तकों में दर्ज स्थानों का गवाह बनने से लेकर तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों के साक्ष्यों को अपनी आंखों से देखने तक, इस प्रतिनिधिमंडल के यात्रा कार्यक्रम में तीन गंतव्य – कुंभ, अयोध्या और वाराणसी शामिल हैं, जो ‘काशी तमिल संगमम’ के तीसरे संस्करण का हिस्सा हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य मंत्रालयों के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस वार्षिक सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान का उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच प्राचीन सभ्यतागत बंधन का जश्न मनाना और उसे मजबूत करना है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के न्यासी के. वेंकट रमण घनपति के अनुसार, यह समागम महज दो सप्ताह का आयोजन नहीं है, बल्कि सदियों तक चलने वाला आयोजन है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हनुमान घाट, केदार घाट और हरिश्चंद्र घाट विभिन्न दक्षिणी राज्यों से आए हजारों परिवारों के निवास स्थान हैं, जो दोनों क्षेत्रों के बीच स्थायी संबंध को दर्शाते हैं। सिर्फ हनुमान घाट पर 150 से अधिक घर तमिल परिवारों के स्वामित्व में हैं और इन्हीं की गलियों में हर दिन काशी तमिल संगमम का आयोजन होता है।’’
रमण पांचवीं पीढ़ी के पुजारी हैं और हरिश्चंद्र घाट के निकट 100 साल पुराने घर में रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह आदान-प्रदान कार्यक्रम न केवल मंदिरों के इस नगर के अभिन्न अंग तमिलों की समृद्ध तमिल संस्कृति और परंपराओं को प्रकाश में लेकर आया है, बल्कि इससे कला, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में हमारे पूर्वजों और ऋषियों के योगदान को भी उजागर करने में मदद मिली है।’’
वेंकट रमण ने दक्षिणी राज्य से आए प्रतिनिधियों को तमिल में इस स्थान के समृद्ध इतिहास तथा तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंध के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस बार महाकुंभ में ‘स्नान’ को लेकर समूहों में उत्साह है।
तमिलनाडु के इरोड में आवश्यक तेलों (प्राकृतिक चिकित्सीय उत्पादों, सौंदर्य प्रसाधन, अरोमाथेरेपी, स्पा, परफ्यूम और खाद्य उत्पादों के रूप में व्यापक रूप से लोकप्रिय) का व्यवसाय करने वाली मुद्रा ऋण लाभार्थी नीलाक्षी ने कहा, ‘‘हम अपने कई मंदिरों में शिव की पूजा करते हैं और जब भी कोई परिचित काशी आता है, तो हम उनसे पवित्र जल लाने को कहते हैं। मैं यहां पहली बार आई हूं और काशी विश्वनाथ एवं अयोध्या में भव्य राम मंदिर जैसे मंदिरों में दर्शन करना चाहती हूं जो मेरी यात्रा प्राथमिकता में शामिल हैं।’’
शोध छात्रा हरिप्रिया के लिए उनकी यात्रा का मुख्य आकर्षण यहां हनुमान घाट पर स्थित प्रसिद्ध तमिल लेखक, कवि और स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सुब्रमण्यम भारती के घर का दौरा करना रहा।
‘काशी तमिल संगमम’ का पहला संस्करण 16 नवंबर से 16 दिसंबर, 2022 तक आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य वाराणसी और तमिलनाडु के बीच जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करना था। दूसरा संस्करण 17 से 30 दिसंबर, 2023 तक आयोजित किया गया था।
इसके तीसरे संस्करण को 10 दिवसीय कार्यक्रम के रूप में मनाने की योजना है जो 15 फरवरी से शुरू हुआ और 24 फरवरी को संपन्न होगा।
इस वर्ष के आयोजन का मुख्य विषय सिद्ध चिकित्सा पद्धति (भारतीय चिकित्सा), शास्त्रीय तमिल साहित्य में ऋषि अगस्त्यर के महत्वपूर्ण योगदान और राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता में उनके योगदान पर प्रकाश डालना है।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्हें स्वास्थ्य, दर्शन, विज्ञान, भाषा विज्ञान, राजनीति और कला सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनके अद्वितीय योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें दक्षिण भारत में तमिल भाषा के पहले व्याकरणविद के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनका प्रभाव भारत से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उनकी भूमिका के लिए उन्हें जावा और सुमात्रा में भी पूजा जाता है।’’
भारतीय प्रौद्योगकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास द्वारा आयोजित चयन प्रक्रिया के माध्यम से पांच श्रेणियों – छात्र, शिक्षक एवं लेखक; किसान और कारीगर; पेशेवर एवं छोटे उद्यमी; महिला स्वयं सहायता समूह, मुद्रा ऋण लाभार्थी एवं दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (डीबीएचपीएस) प्रचारक और स्टार्टअप, नवाचार, एडु-टेक और अनुसंधान के क्षेत्र से तमिलनाडु के कम से कम 1,000 प्रतिनिधियों को इस यात्रा के लिए चुना गया है।
विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत तमिल मूल के लगभग 200 छात्रों का एक अतिरिक्त समूह भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा है।
भाषा सुरभि नेत्रपाल
नेत्रपाल