देर से मिलने वाला न्याय निरर्थक हो जाता है : न्यायमूर्ति बिंदल

देर से मिलने वाला न्याय निरर्थक हो जाता है : न्यायमूर्ति बिंदल

देर से मिलने वाला न्याय निरर्थक हो जाता है : न्यायमूर्ति बिंदल
Modified Date: November 29, 2022 / 08:57 pm IST
Published Date: March 13, 2022 12:55 am IST

मथुरा (उप्र),12 मार्च (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने शनिवार को कहा कि देर से न्याय मिलना अक्सर निरर्थक साबित होता है।

उन्होंने एक घटना याद करते हुए यह कहा, जिसमें एक व्यक्ति ने अपने बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाने के 25 साल बाद मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति बिंदल ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण से मुआवाजा पाने के लिए व्यक्ति के मुकदमा लड़ने को याद करते हुए कहा कि जब उसे मुआवजा देने का आदेश दिया गया, तब उसने अदालत से यह रकम अपने (अदालत के) पास ही रख लेने को कह दिया था।

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न्यायमूर्ति बिंदल ने अदालत को व्यक्ति द्वारा कही गई बात याद करते हुए कहा, ‘‘जज साहब, कृपया यह रकम अपने पास ही रख लीजिए। 25 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मेरे बेटे की मौत हो जाने के बाद मुझे अपने पोतों की परवरिश और शिक्षा के लिए इन रुपयों की काफी जरूरत थी। लेकिन अब मुझे अब ये रुपये नहीं चाहिए क्योंकि वे सभी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके हैं।’’

उन्होंने लोक अदालत से अधिकतम संख्या में विवादों का निस्तारण करने का आग्रह करते हुए कहा कि लोक अदालत वही करती है, जो भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत को टालने के लिए किया था और हनुमान जी तथा अंगद ने रामायण की लड़ाई नहीं होने देने के लिए किया था।

भाषा सुभाष आशीष

आशीष


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