Aniruddhacharya FIR Case: ‘लड़कियां चार जगह मुंह मारती हैं…’ कथित बयान पर बुरा फंस गए ‘पूकी बाबा’, अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ FIR का आदेश!”
उत्तरप्रदेश के मथुरा में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज हो गई है।
anniruddhacharya fir case/ image source: Vishal_aawaj x handle
- अनिरुद्धाचार्य पर FIR का आदेश
- CJM कोर्ट ने परिवाद दर्ज किया
- महिलाओं पर कथित अभद्र टिप्पणी
Aniruddhacharya FIR Case: मथुरा: उत्तरप्रदेश के मथुरा में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज हो गई है। CJM कोर्ट में दायर एक याचिका पर न्यायालय ने परिवाद दर्ज करते हुए उनके खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश जारी किया है।
चार महीने पुराना है विवादित बयान का मामला
यह मामला लगभग चार महीने पुराना है, जब वृंदावन में अपने एक प्रवचन के दौरान अनिरुद्धाचार्य ने महिलाओं को लेकर कथित रूप से अभद्र टिप्पणी की थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने महिलाओं की उम्र, विवाह और सामाजिक मर्यादाओं से जुड़े कुछ ऐसे विवादित बयान दिए, जिन्हें लेकर अनेक महिला संगठनों ने आपत्ति जताई थी। इन टिप्पणियों को महिलाओं की गरिमा का अपमान माना गया और इसके विरोध में विभिन्न मंचों से आवाज उठाई गई।
मीरा राठौर ने दायर की थी याचिका
Aniruddhacharya FIR Case: मामला तब और गंभीर हो गया जब आगरा हिंदू महासभा की जिलाध्यक्ष मीरा राठौर ने एक औपचारिक याचिका CJM कोर्ट में दायर की। याचिका में उन्होंने कहा कि कथावाचक के शब्द न केवल महिलाओं का अपमान करते हैं, बल्कि समाज में गलत संदेश भी प्रसारित करते हैं। याचिका पर सुनवाई के बाद CJM कोर्ट ने इसे संज्ञान में लिया और परिवाद (कम्प्लेंट केस) दर्ज करने का आदेश दिया।
कोर्ट स्वयं कराएगा जांच
Aniruddhacharya FIR Case: इस आदेश के बाद अब कोर्ट स्वयं इस मामले की जांच करवाएगा, जो कानूनी प्रक्रिया को और मजबूत बनाता है। अदालत का यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह महिलाओं के सम्मान और अभिव्यक्ति की मर्यादा को लेकर न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है। कोर्ट का कहना है कि अगर किसी भी मंच से महिलाओं के प्रति अपमानजनक बातें कही जाती हैं, तो उस पर कानूनी कार्रवाई जरूरी है, चाहे वक्ता कोई भी हो।
अगली सुनवाई 1 जनवरी 2026 को
Aniruddhacharya FIR Case: इसी फैसले के तहत अब अनिरुद्धाचार्य की ओर से दिए गए बयान की जांच होगी, क्या वह सामाजिक मर्यादाओं के खिलाफ था, क्या उससे किसी वर्ग की भावनाएं आहत हुईं, और क्या यह कानूनी रूप से दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। मामले की अगली सुनवाई 1 जनवरी 2026 को निर्धारित की गई है, जहां आगे की प्रक्रिया तय होगी। इस बीच सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों में इस निर्णय को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

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