Braj Ki Holi: ब्रज में रंग-बिरंगे फूलों की होली! साधु-संतों ने भगवान के स्वरूपों पर उड़ाई गुलाल, रसिया गायन में लीन हुए भक्त

Braj Ki Holi : इस होली में भगवान के स्वरूपों के साथ ब्रज के प्रसिद्ध साधु संतों ने होली खेली तो भक्त आनंद और रंगों में सराबोर हो गए।

Braj Ki Holi: ब्रज में रंग-बिरंगे फूलों की होली! साधु-संतों ने भगवान के स्वरूपों पर उड़ाई गुलाल, रसिया गायन में लीन हुए भक्त

Braj Ki Holi Video Viral | Source : IBC24

Modified Date: March 3, 2025 / 04:44 pm IST
Published Date: March 3, 2025 4:44 pm IST
HIGHLIGHTS
  • कार्ष्णि गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में हर साल पारंपरिक होली का आयोजन किया जाता है।
  • सोमवार को भी ब्रज में खेली जाने वाली विभिन्न होलियों का आयोजन किया गया।
  • रमणरेती आश्रम में फूलों की होली के साथ-साथ टेसू के फूलों के रंग से भी होली खेली गई।

पवन शर्मा/मथुरा। Braj Ki Holi : भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा के गोकुल में रमणरेती स्थित कार्ष्णि गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में हर साल पारंपरिक होली का आयोजन किया जाता है। यहां सोमवार को भी ब्रज में खेली जाने वाली विभिन्न होलियों का आयोजन किया गया। इस होली में भगवान के स्वरूपों के साथ ब्रज के प्रसिद्ध साधु संतों ने होली खेली तो भक्त आनंद और रंगों में सराबोर हो गए।

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रमणरेती आश्रम में फूलों की होली के साथ-साथ टेसू के फूलों के रंग से भी होली खेली गई। गुरु शरणानंद महाराज के मथुरा में गोकुल के नजदीक ‘श्री उदासीन कार्णि आश्रम में संतों ने भगवान और भक्तों के साथ होली खेली। इस आश्रम में हर साल होली का आयोजन किया जाता है और इस दौरान यहाँ खेली जाने वाली फूल होली इस आयोजन की विशेषता होती है। आश्रम में करीब 10 कुंतल फूलों से होली खेली गयी।

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रमणरेती आश्रम में रंग-बिरंगे फूलों की होली का आयोजन किया गया। इस बार की होली में सूखे फूलों के अलावा गुलाल और टेसू के फूलों से बने रंग का इस्तेमाल किया गया। 20 कुंतल टेसू से बने 6 हजार लीटर प्राकृतिक रंगों की खासियत यह है कि इनसे शरीर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। गोपाल जयंती उत्सव में राधा-कृष्ण की रासलीला के समय हुये होली के रसिया गायन से यहाँ मौजूद भक्त पूरी तरह होली के रंग में रंगे नजर आये और पंडाल में बैठे-बैठे ही दोनों हाथों से ताली बजा कर होली के रसिया गाने लगे। पूरे पंडाल का माहौल ये था कि हर कोई राधा-कृष्ण के स्वरूपों के साथ होली खेलना चाहता था और सभी ये मौका पाकर खुद को बेहद आनंदित महसूस कर रहे थे।

फूल होली से पहले यहाँ राधा-कृष्ण और सखियों की रासलीलाओं का मंचन किया गया। इसीलिए दूर दूर से आये हजारो लोग इस होली में होली खेलते है की उनके ऊपर डाले जाने वाले रंग भगवान के स्वरुप और साधु संत डालते हैं। इसके अलावा प्राकृतिक रंग से कोई नुकसान नहीं होता है। लोग एक दूसरे पर रंगों को डालते हुए होली में मस्त हो जाते है। यहाँ पर होने वाली रास लीला में गाये जाने वाले होली के रसिया से भी लोग झूमते हुए नजर आते है और यहाँ पर आये लोग ही नहीं इन रंगों की मस्ती में डूबते नजर आते है बल्कि जाने माने साधु संत भी इस होली का जमकर आनंद उठाते है और पिचकारियों से एक दूसरे पर खूब रंग डालते हुए रंगों की होली में रंग जाते है।


लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years