उप्र सरकार के राज्य के 82 पुलों को ‘असुरक्षित’ बताए जाने पर अदालत ने विस्तृत जानकारी मांगी

उप्र सरकार के राज्य के 82 पुलों को 'असुरक्षित' बताए जाने पर अदालत ने विस्तृत जानकारी मांगी

उप्र सरकार के राज्य के 82 पुलों को ‘असुरक्षित’ बताए जाने पर अदालत ने विस्तृत जानकारी मांगी
Modified Date: May 1, 2025 / 09:31 pm IST
Published Date: May 1, 2025 9:31 pm IST

लखनऊ,एक मई (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ को बृहस्पतिवार को सूचित किया कि राज्य में 82 पुल असुरक्षित हैं, फिर भी चालू हैं। इसके बाद अदालत ने इस पर चिंता जताई।

हालांकि सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि उक्त सभी 82 पुलों के स्थान पर जल्द से जल्द वैकल्पिक व्यवस्थाएं किए जाने पर विचार किया जा रहा है।

इस पर अदालत ने सरकार को शपथ पत्र दाखिल कर स्थिति को और स्पष्ट करने को कहा, साथ ही इन सभी पुलों के स्थान व उम्र भी बताने का आदेश दिया।

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यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने ज्ञानेन्द्र नाथ पांडेय व एक अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया।

याचिका में प्रदेश भर के पुलों का संरचनात्मक अध्ययन कराने और कमजोर हो चुके पुलों के सम्बंध में यथोचित आदेश पारित करने की प्रार्थना की गई है।

याची की ओर से 50 साल या इससे अधिक पुराने पुलों का विशेष तौर पर अध्ययन कराने की मांग की गई है।

पूर्व के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि प्रदेश में कुल 2800 पुलों का निर्माण हो चुका है, हालांकि संरचनात्मक अध्ययन में 82 पुल असुरक्षित पाए गए हैं।

पीठ ने मामले को अगली सुनवायी के लिए दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का आदेश देते हुए, संरचनात्मक अध्ययन करने वाली विशेषज्ञों की टीम का ब्यौरा भी तलब किया है।

भाषा सं जफर नोमान

नोमान


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