भू-स्वामी का नाम हटाने और निर्माण ढहाने पर अदालत ने सख्त रुख अपनाया

भू-स्वामी का नाम हटाने और निर्माण ढहाने पर अदालत ने सख्त रुख अपनाया

भू-स्वामी का नाम हटाने और निर्माण ढहाने पर अदालत ने सख्त रुख अपनाया
Modified Date: December 27, 2025 / 12:29 am IST
Published Date: December 27, 2025 12:29 am IST

लखनऊ, 26 दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने भू-स्वामी का नाम हटाने और निर्माण ढहाने के एक मामले में सख्त रुख अपनाते हुए एसडीएम द्वारा पारित आदेश रद्द कर दिया और जमीन का कब्जा याचिकाकर्ता को देने का आदेश दिया।

साथ ही अदालत ने सरकार पर 20 लाख रुपये का हर्जाना भी लगाया और कहा कि मुआवजे की यह राशि दो महीने के भीतर याचिकाकर्ता को भुगतान की जानी चाहिए। इसके साथ अदालत ने राजस्व अधिकारियों की भूमिका की जांच करने का भी आदेश दिया।

अदालत ने कहा कि यह जांच अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ द्वारा सावित्री सोनकर की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए 19 दिसंबर को पारित किया गया।

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याचिकाकर्ता ने कहा था कि रायबरेली जिले के देवनंदनपुर गांव में खाता संख्या 431 बी की जमीन का स्वामित्व उसके नाम था और राजस्व रिकॉर्ड में भी उसके नाम दर्ज था। इसके बावजूद, संबंधित उपजिलाधिकारी (एसडीएम) ने बिना सुनवाई के राजस्व संहिता की धारा 38 के तहत 10 फरवरी को कार्रवाई की और रिकॉर्ड से उसका नाम हटा दिया गया तथा जमीन को ग्राम सभा की जमीन घोषित कर दिया गया।

इस आदेश के आधार पर 24 मार्च को याचिकाकर्ता का निर्माण ढहा दिया गया और जमीन वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग को सौंप दी गई।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड में बदलाव अवैध और मनमाने तरीके से किया गया। याचिकाकर्ता को कोई नोटिस नहीं दिया गया और ना ही उसका पक्ष सुना गया।

भाषा

सं, राजेंद्र रवि कांत


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