लखनऊ, छह नवंबर (भाषा) समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री आजम ख़ान ने बृहस्पतिवार को राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में सिर्फ ‘व्यवस्था’ बची है जबकि ‘कानून’ गायब है।
लखनऊ में ‘पीटीआई वीडियो’ सेवा से बातचीत के दौरान खान ने कहा, ‘‘क़ानून व्यवस्था से ‘क़ानून’ गायब है, यहां सिर्फ व्यवस्था चल रही है।’’
बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हालिया टिप्पणी, जिसमें उन्होंने विपक्षी दलों को ‘रामद्रोही’ कहा था – पर प्रतिक्रिया देते हुए ख़ान ने कहा कि ऐसे फैसलों को राजनीति पर नहीं, बल्कि आस्था पर छोड़ देना चाहिए।
खान ने कहा, ‘‘अब यह भगवान राम के भक्तों या उन्हें अपना भगवान कहने वालों पर निर्भर है कि वे तय करें कि रामद्रोही कौन है। अगर दूसरों को भी यह तय करना पड़े, तो धर्म को ही बहुत नुकसान होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस समय मेरे पास कोई सुरक्षा नहीं है। मैं आज अकेले ही लखनऊ आया हूं।’’
सपा नेता ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘वे बिहार के ‘जंगलराज’ की बात करते हैं और मुझे ऐसे जंगल में जाने से डर लगता है।’’
सपा नेता ने राजद के पिछले शासन के दौरान बिहार में ‘जंगलराज’ के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) द्वारा बार-बार उल्लेख किए जाने पर भी कटाक्ष किया और कहा कि इस तरह की बयानबाजी आज की जमीनी हकीक़त को नजरअंदाज करती है।
अपने ख़िलाफ़ लंबित आपराधिक मामलों का ज़िक्र करते हुए, खान ने आरोप लगाया कि संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता इतनी कम हो गई है कि उच्चतम न्यायालय को भी उनके मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ा।
उन्होंने अपने ख़िलाफ़ लगे कुछ आरोपों का भी मज़ाक उड़ाया, जिनमें कथित तौर पर बकरी चुराने का एक मामला भी शामिल है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘मुझे बकरी चोरी के जुर्म में 21 साल की सजा और 36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, लेकिन मुझे बकरी भी नहीं मिली।’’
खान ने दावा किया कि सरकार के ज़मीन हड़पने के आरोप राजनीति से प्रेरित थे। उन्होंने कहा, ‘‘आसरा योजना के तहत उस ज़मीन पर बने मकान 2016 में आवंटित किए गए थे और डेढ़ साल से ज़्यादा समय तक निर्माण कार्य चलता रहा। तीन साल बाद, उन्होंने जमीन हड़पने और बकरी चुराने के मामले दर्ज करने शुरू कर दिए।’’
खान कई आपराधिक मामलों में लगभग दो साल जेल में बिताने के बाद हाल ही में जमानत पर रिहा हुए हैं।
भाषा सं किशोर आनन्द शफीक
शफीक