मुजफ्फरनगर (उप्र) 20 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना कस्बे में मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों की कॉलोनी में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए पुलिस ने एक अभियान के तहत घर-घर जाकर सत्यापन किया। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिाकरियों ने कहा कि शुक्रवार को नाहिद कॉलोनी में यह सत्यापन किया गया, जहां 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान लंक, बहावदी और फुगाना जैसे गांवों से विस्थापित करीब 300 परिवारों को बसाया गया था।
पुलिस ने बताया कि सत्यापन के दौरान, पुलिस ने निवासियों के आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और परिवार के विवरण की जांच की।
कैराना के क्षेत्राधिकारी हिमांशु कुमार ने पत्रकारों से कहा कि यह सत्यापन अभियान रोहिंग्या या बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए था, लेकिन अब तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है।
कॉलोनी के एक निवासी नूर हसन ने बताया कि वहां रहने वाले सभी परिवार पहले ही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) फॉर्म भरकर कैराना में बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) के पास जमा करा चुके हैं।
इस बीच, पड़ोसी जिले मुजफ्फरनगर में पुलिस ने औद्योगिक क्षेत्रों में सत्यापन अभियान तेज कर दिया है। अभियान के तहत खासकर फैक्टरियों में काम करने वाले श्रमिकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्राधिकारी सिद्धार्थ मिश्रा ने कहा कि पुलिस टीमों ने जिले में कई कागज मिलों और इस्पात कारखानों में श्रमिकों के रिकॉर्ड की जांच की। फैक्टरी मालिकों को निर्देश दिया गया है कि वे एक रजिस्टर की व्यवस्था करें, जिसमें श्रमिकों का पूरा विवरण हो।
पुलिस ने बताया कि यह सत्यापन अभियान एक व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उचित दस्तावेजीकरण सुनिश्चित करना और अवैध प्रवासियों की पहचान करना है।
साल 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों में 60 से अधिक लोग मारे गए थे और हजारों लोग विस्थापित हुए थे, जिनमें अधिकांश ग्रामीण इलाकों से थे।
भाषा सं आनन्द सिम्मी जोहेब
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