उप्र : गोरखपुर और लखनऊ में सचल पशु चिकित्सा इकाइयों को मंजूरी
उप्र : गोरखपुर और लखनऊ में सचल पशु चिकित्सा इकाइयों को मंजूरी
लखनऊ, पांच जून (भाषा) उत्तर प्रदेश के राजकीय पक्षी सारस और अन्य घायल वन्य जीवों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के तहत गोरखपुर और लखनऊ मंडल में सचल पशु चिकित्सा इकाई (एमवीयू) को मंजूरी दी गई है।
राज्य सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को यहां जारी एक बयान में इसकी पुष्टि करते हुए कहा गया कि इस पहल से लखनऊ और गोरखपुर मंडलों के पक्षी विहार और वन प्रभागों में घायल होने वाले पक्षियों तथा वन्य जीवों को चिकित्सा सुविधा जल्द उपलब्ध हो सकेगी।
बयान के अनुसार उत्तर प्रदेश सारस संरक्षण समिति ने कानपुर और मेरठ मंडल के वन प्रभागों में भी ऐसी ही इकाइयों की सुविधा जल्द प्रदान करने की मांग की है। वन एवं वन्य जीव विभाग प्रदेश के सभी मंडलों में घायल पशुओं के त्वरित इलाज के लिए एमवीयू की सुविधा उपल्ब्ध करवाने पर विचार कर रहा है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अनुराधा वेमुरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सारस संरक्षण समिति की ओर से लंबे समय से सचल पशु चिकित्सा इकाई की मांग की जा रही थी। इसे देखते हुए विभाग ने गोरखपुर और लखनऊ मंडल में एमवीयू की सुविधा प्रदान की है।
उन्होंने बताया कि सारस संरक्षण समिति की ओर से कानपुर और मेरठ मंडल के लिए भी एमवीयू सुविधा की मांग की गई थी लेकिन सीमित संसाधनों के कारण अभी ये सुविधा प्रदान नहीं की जा सकी है। जल्द ही कानपुर और मेरठ मंडल के साथ प्रदेश के अन्य मंडलों के लिये भी ये सुविधा शुरू करने का प्रयास है।
वन एवं वन्य जीव विभाग के संबंधित अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश सारस संरक्षण समिति की मांग पर विभाग ने अभी दो मंडलों में एमयूवी की सुविधा प्रदान की है। जिसके तहत टाटा विंगर गाड़ियों को सचल पशु चिकित्सा इकाई के रूप में विकसित किया है। इन गाड़ियों में आधुनिक चिकित्सा उपकरण और दवाइयां उपलब्ध होंगी, जिससे घायल जीवों को तत्काल प्राथमिक उपचार देने के बाद उन्हें नजदीकी पशु चिकित्सालय तक पहुंचाया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि ये एमयूवी न केवल घायल सारस पक्षियों, बल्कि छोटे वन्य जीवों को भी समय पर प्राथमिक उपचार प्रदान करने में सक्षम हैं।
सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है। प्रदेश के लगभग 59 जिलों में सारस पक्षी पाये जाते हैं। प्राकृतिक आपदाओं, शिकार और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण इन पक्षियों को चोट लगने या बीमार होने का खतरा बना रहता है। ऐसी स्थिति में सचल पशु चिकित्सा इकाई समय पर उपचार प्रदान करके उनका संरक्षण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
भाषा
सं, सलीम, रवि कांत रवि कांत

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