पिछली सरकारों के शासन में युवाओं के सामने था पहचान का संकट : योगी आदित्यनाथ
पिछली सरकारों के शासन में युवाओं के सामने था पहचान का संकट : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ, सात सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को राज्य की पूर्ववर्ती सरकारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पहले राज्य के युवाओं के सामने ‘पहचान का संकट’ था और प्रदेश को ‘बीमारू’ राज्य करार दिया जाता था।
मुख्यमंत्री ने लखनऊ में राज्य सरकार द्वारा संचालित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के लिए नव-चयनित 1,510 अनुदेशकों को नियुक्ति पत्र वितरित किये।
आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा, ”जब आप अपने स्कूलों और पॉलिटेक्निक में थे तो आपने अनुभव किया होगा कि उत्तर प्रदेश के साथ दो चीजें जुड़ी हुई थीं। पहली, जब उत्तर प्रदेश के युवा राज्य से बाहर जाते थे तो लोग उन्हें हीन नजरों से देखते थे। उन्हें पहचान के संकट का सामना करना पड़ता था। परिणामस्वरूप उनके मन में हीन भावना विकसित हो जाती थी।”
मुख्यमंत्री ने कहा, ”हम पर बीमारू राज्य का ठप्पा लगा दिया गया… इसका मतलब था देश के विकास में बाधा। एक बड़ा राज्य जो संसाधनों से भरपूर है, एक ऐसा राज्य जहां भगवान भी किसी न किसी अवतार में आए, ऐसा राज्य ‘बीमारू’ हो गया और उसे पहचान के संकट का सामना करना पड़ा?”
उन्होंने कहा कि ‘बीमारू’ शब्द का प्रयोग जनसांख्यिकीविद् आशीष बोस ने 1980 के दशक के मध्य में किया था। यह नाम देश के कुछ सबसे गरीब राज्यों – बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के नामों के पहले अक्षरों से बना था।
आदित्यनाथ ने दावा किया कि पहले जब त्योहारों के समय उत्साह का माहौल दिखना चाहिए था उस समय लोगों के मन में डर होता था कि पता नहीं कब दंगे हो जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हाल ही में गणपति महोत्सव और बारावफात मनाया गया, लेकिन कोई दंगा या गुंडागर्दी नहीं हुई। अयोध्या, काशी, प्रयागराज और गढ़मुक्तेश्वर में लाखों लोग स्नान कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘पिछले आठ वर्षों में हम उस राज्य को सातवीं और आठवीं अर्थव्यवस्था से देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने में सफल रहे हैं। हम ‘बीमारू’ राज्य के ठप्पे को उखाड़ फेंकने में सफल रहे हैं और आज हमने उत्तर प्रदेश को भारत के विकास के इंजन के रूप में स्थापित किया है।”
उन्होंने कहा कि ऐसा राज्य की 25 करोड़ जनता, उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों-कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के सामूहिक प्रयासों से संभव हुआ है।
सरकार के रोजगार अभियान पर प्रकाश डालते हुए, आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में 8.50 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां प्रदान की गई हैं। उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में सरकारी और निजी, दोनों क्षेत्रों में नौकरियों की भरमार है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आठ वर्षों में 60 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला, इनमें से 14 लाख युवाओं को उप्र -कौशल विकास मिशन के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया।
आदित्यनाथ ने कहा, ‘चार सौ साल पहले, उत्तर प्रदेश सबसे समृद्ध राज्यों में से एक था। इसे विदेशी आक्रमणों और औपनिवेशिक लूट का सामना करना पड़ा। 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब भी उत्तर प्रदेश सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। 1960 तक, उत्तर प्रदेश ने भारत की अर्थव्यवस्था में 14 प्रतिशत का योगदान दिया।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों की कुनीतियों ने उत्तर प्रदेश को पहले स्थान से आठवें स्थान पर धकेल दिया।
उन्होंने कहा कि जब नीतियां स्वार्थ, वोट बैंक और पारिवारिक हितों के लिए बनाई जाती हैं, तो वे अनिवार्य रूप से दुख का कारण बनती हैं।
नवनियुक्तों से बातचीत करते हुए आदित्यनाथ ने कहा, ‘सीखने और दूसरों को सिखाने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए। समय के साथ व्यापार और उसकी बारीकियाँ विकसित हो सकती हैं, लेकिन निरंतर सीखने से आप विशेषज्ञ बनेंगे। भविष्य में आप जिन युवाओं को प्रशिक्षित करेंगे, वे इतने सक्षम होने चाहिए कि वैश्विक बाजार में कोई भी उनके कौशल पर सवाल न उठा सके।’
भाषा
सलीम आनन्द शोभना रवि कांत

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