फ्रांसीसी प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू के खिलाफ संसद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव विफल
फ्रांसीसी प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू के खिलाफ संसद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव विफल
पेरिस, 16 अक्टूबर (एपी) फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू के खिलाफ संसद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव बृहस्पतिवार को कुछ मतों के अंतर से विफल हो गया। यह अविश्वास प्रस्ताव लेकोर्नू की नई सरकार को गिराने के साथ फ्रांस को गहरे राजनीतिक संकट में धकेल सकता था।
नेशनल असेंबली में हुए इस मतदान से सियासी संकट से जूझ रहे लेकोर्नू की मौजूदा बाधा दूर हो गई है। उनकी अगली बड़ी चुनौती यूरोपीय संघ की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (फ्रांस) के लिए 2026 का बजट संसद के शक्तिशाली लेकिन गंभीर रूप से विभाजित निचले सदन से इस वर्ष के अंत से पहले पारित करवाना होगा।
लेकोर्नू की सरकार के बचने से राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को नेशनल असेंबली को फिर से भंग करने और अचानक विधान सभा चुनाव कराने की तत्काल जरूरत भी नहीं पड़ेगी, जो एक खतरनाक विकल्प था। हालांकि इसके बारे में फ्रांसीसी नेता ने पहले ही संकेत दे दिया था कि अगर लेकोर्नू सत्ता से बाहर हो गए तो वह इस पर अमल कर सकते हैं।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति के इस करीबी सहयोगी को मैक्रों के धुर विरोधियों (कट्टर वामपंथी ‘फ्रांस अनबोड पार्टी’ और कट्टर दक्षिणपंथी ‘नेशनल रैली’ की मरीन ले पेन और संसद में उनके सहयोगियों) द्वारा संसद में पेश दो अविश्वास प्रस्तावों का सामना करना पड़ा।
फ्रांसीसी संसद के 577 सीट वाले सदन ने पहले ‘फ्रांस अनबोड’ के प्रस्ताव पर मतदान किया और यह केवल 271 सांसदों के समर्थन के चलते गिर गया। इसे पारित होने के लिए 289 मतों के बहुमत की आवश्यकता थी।
सांसद अब ले पेन के दूसरे प्रस्ताव पर मतदान कर रहे हैं, लेकिन इसके सफल होने की संभावना और भी कम मानी जा रही है, क्योंकि अति-दक्षिणपंथी नेता के वामपंथी विरोधियों द्वारा इसका समर्थन किए जाने की उम्मीद नहीं है।
लेकिन लेकोर्नु अभी भी मुश्किल से बाहर नहीं हैं। जरूरी मत पाने के लिए, लेकोर्नु ने मैक्रों के राष्ट्रपति कार्यकाल के सबसे प्रमुख लेकिन सर्वाधिक अलोकप्रिय सुधारों में से एक को वापस लेने की संभावना को हवा दी, जिससे फ्रांस में सेवानिवृत्ति की उम्र धीरे-धीरे 62 से बढ़कर 64 साल हो जाएगी।
एपी
संतोष पवनेश
पवनेश

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