अफगान महिलाओं ने तालिबान के शिक्षा पर प्रतिबंध के बाद किया ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का रुख

अफगान महिलाओं ने तालिबान के शिक्षा पर प्रतिबंध के बाद किया ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का रुख

अफगान महिलाओं ने तालिबान के शिक्षा पर प्रतिबंध के बाद किया ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का रुख
Modified Date: August 6, 2025 / 01:46 pm IST
Published Date: August 6, 2025 1:46 pm IST

काबुल, छह अगस्त (एपी) अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए एक के बाद एक अवसर खत्म होते गए। फार्माकोलॉजी की छात्रा सोदाबा, अन्य अफगान महिलाओं की तरह, तालिबान सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को खामोशी से केवल देखती रह गईं, जो महिलाओं के जीवन पर शिकंजा कसते गए।

तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद महिलाओं के लिए अनेक प्रतिबंध लागू किए। उनके लिए पार्कों और जिम में जाना, रेस्टोरेंट में खाना खाना और अधिकतर क्षेत्रों में काम करना मना कर दिया गया। लेकिन सोदाबा के लिए सबसे बड़ा झटका प्राथमिक विद्यालय से आगे की शिक्षा पर लगे प्रतिबंध के रूप में आया।

हालात से मजबूर होकर 24 वर्षीय सोदाबा ने ऑनलाइन पाठ्यक्रम का रास्ता अपनाया। और वहां उसे उम्मीद की किरण दिखाई दी। अफगान महिलाओं के लिए एक नि:शुल्क कंप्यूटर कोडिंग पाठ्यक्रम उनकी मातृभाषा दारी में पढ़ाया जा रहा है। यह पाठ्यक्रम यूनान में रहने वाले अफगान शरणार्थी मुरतज़ा जाफरी ने शुरू किया था।

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सोदाबा ने कहा, “मेरा मानना है कि इंसान को परिस्थितियों से हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि हर संभव तरीके से अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।” उन्होंने वेबसाइट विकास और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखना शुरू किया।

उन्होंने कहा, “इन कौशलों से मुझे आत्मविश्वास और अपने भविष्य की दिशा में स्पष्टता मिली।” सुरक्षा कारणों से उन्होंने केवल अपना पहला नाम ही बताया।

यह पाठ्यक्रम अफगान गीक्स नामक कंपनी द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसकी स्थापना 25 वर्षीय मुरतज़ा जाफरी ने की थी। वह किशोरावस्था में तुर्किये से नाव के जरिए यूनान पहुंचे थे।

खुद जाफरी कहते हैं, ‘‘एक समय मुझे कुछ नहीं आता था… एकदम शून्य था मैं।’’

जाफरी ने बताया कि नाव में बैठकर यूनान पहुंचने के बाद एथेंस में एक शरणार्थी शिविर में रहते हुए उन्हें एक शिक्षक की मदद से कंप्यूटर कोडिंग पाठ्यक्रम में दाखिला मिला। उन्हें कंप्यूटर के बारे में कुछ नहीं पता था — न इसे चालू करना आता था, न कोडिंग के बारे में जानकारी थी, और न ही अंग्रेज़ी आती थी, जो इस क्षेत्र में आवश्यक है।

उन्होंने कहा, “मुझे अंग्रेज़ी का कोई अंदाज़ा नहीं था, एकदम शून्य… और मैं उसी समय यूनानी भाषा, अंग्रेज़ी और कंप्यूटर सीखने की कोशिश कर रहा था। यह मेरे लिए बेहद कठिन था।” लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कुछ ही महीनों में उन्होंने अपना सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया।

कोडिंग ने उनके लिए एक नई दुनिया के दरवाज़े खोले। कुछ वर्षों पहले उन्होंने अपनी कंपनी ‘अफगान गीक्स’ की स्थापना की।

जाफरी ने बताया कि उन्होंने पिछले साल दिसंबर से अफगान महिलाओं के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किए, ताकि उन्हें वही सहायता मिल सके जो कभी उन्होंने एक अजनबी देश में अकेले रहने के दौरान पाई थी।

उन्होंने कहा, “इसका मुख्य उद्देश्य समुदाय को कुछ लौटाना था, विशेषकर अफगान महिलाओं को, जो मैंने नि:शुल्क प्राप्त किया था।”

वर्तमान में जाफरी के तीन स्तरों — प्रारंभिक, मध्यवर्ती और उन्नत — पर पाठ्यक्रम चलते हैं जिनमें 28 महिला अभ्यर्थी पढ़ती हैं। वह न केवल उन्हें कोडिंग सिखाते हैं, बल्कि ऑनलाइन इंटर्नशिप और नौकरियां ढूंढने में भी मार्गदर्शन करते हैं।

जाफरी ने बताया कि सबसे कुशल छात्राएं उनकी टीम का हिस्सा बनती हैं। ‘अफगान गीक्स’ वेबसाइट विकास और चैटबॉट निर्माण जैसी सेवाएं भी प्रदान करता है। उनके क्लाइंट्स अफगानिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप से हैं।

उन्होंने कहा, “इन क्लाइंट्स को इस बात से खुशी होती है कि वे एक सार्थक उद्देश्य में योगदान दे रहे हैं — महिलाओं का समर्थन करने में।”

दिलचस्प बात यह है कि पिछले सात महीने से अपनी छात्राओं को पढ़ा रहे जाफरी ने आज तक किसी का चेहरा नहीं देखा। वे बताते हैं, “मैं उनसे हाल-चाल पूछता हूं, अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में जानता हूं, लेकिन कभी भी कैमरा चालू करने या तस्वीर साझा करने को नहीं कहता। मैं उनकी संस्कृति और पसंद का सम्मान करता हूं।”

एपी मनीषा वैभव

वैभव


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