क्षेत्र में शांति से ही मध्य और दक्षिण एशियाई देश अवसरों का पूर्ण लाभ ले सकते हैं: गुतारेस

क्षेत्र में शांति से ही मध्य और दक्षिण एशियाई देश अवसरों का पूर्ण लाभ ले सकते हैं: गुतारेस

क्षेत्र में शांति से ही मध्य और दक्षिण एशियाई देश अवसरों का पूर्ण लाभ ले सकते हैं: गुतारेस
Modified Date: November 29, 2022 / 08:05 pm IST
Published Date: July 17, 2021 6:32 am IST

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 17 जुलाई (भाषा) संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनिया गुतारेस ने कहा कि मध्य एवं दक्षिण एशिया के देश इस क्षेत्र में शांति रहने पर ही यहां के संभावित अवसरों का पूर्ण रूप से लाभ उठा सकते हैं।

उन्होंने संपर्क के वादे को रेखांकित करते हुए कहा कि यह इतना मजबूत होना चाहिए कि यह युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थिति और बिगड़ने के खतरे को कम करने के लिये ‘प्रति संतुलन’ की तरह काम करे।

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गुतारेस ने उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में शुक्रवार को ‘‘मध्य और दक्षिण एशिया: क्षेत्रीय संपर्क’ विषय पर आयोजित उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में एक वीडियो संदेश के जरिए कहा, ‘‘ कारोबार, आर्थिक वृद्धि और सतत विकास के लिए संपर्क बेहद अहम है, लेकिन संपर्क सिर्फ अर्थशास्त्र तक सीमित नहीं हैं। इससे क्षेत्रीय सहयोग और पड़ोसियों के बीच दोस्ताना संबंध भी स्थापित होता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ संपर्क की एक ऐसी व्यवस्था, जो पर्यावरण के लिहाज से भी अनुकूल हो और ऐसे नियमों पर आधारित हो, जो मध्य एवं दक्षिण एशिया में दीर्घकालिक शांति, स्थिरता और समृद्धि लाने में योगदान दे सके। ये चीजें पहले की तुलना में अभी ज़्यादा अहम और जरूरी हो गई हैं।’’

उन्होंने कहा कि मध्य एवं दक्षिण एशिया को संभावित अवसरों से सिर्फ तभी लाभ मिल सकता है जब इस क्षेत्र में शांति रहे।

गुतारेस ने देशों से अपील की कि वे शांति के विभिन्न आयामों को अच्छी तरह समझें ताकि इस क्षेत्र में संपर्क का वादा इतना मजबूत रहे कि वह अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति के और बिगड़ने के खतरे के संबंध में ‘प्रति संतुलन’ व्यवस्था तैयार कर सकें। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन इस दिशा में काम करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और संयुक्त राष्ट्र इस संबंध में मदद के लिए तैयार है।

उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिका द्वारा अपने बलों की वापसी शुरू करने के बाद अफगानिस्तान में अफगान बलों और तालिबानी आतंकवादियों के बीच संघर्ष तेज हो गया है।

भाषा स्नेहा प्रशांत

प्रशांत


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