Chiken Price Increase: यहां 800 रुपये/किलो तक पहुंची चिकन की कीमत.. विक्रेताओं ने पोल्ट्री किसानों को ठहराया महंगाई के लिए जिम्मेदार

प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट कार्रवाई की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन आम लोगों में बढ़ती नाराजगी को देखते हुए अधिकारियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वे स्थिति को जल्द नियंत्रण में लाएं।

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  • Publish Date - April 7, 2025 / 07:55 AM IST,
    Updated On - April 7, 2025 / 07:56 AM IST

Chiken Price Hike in Pakistan || Image- Poultry India

HIGHLIGHTS
  • कराची में चिकन के दाम सरकार से कहीं अधिक।
  • पोल्ट्री व्यापारी मांग-आपूर्ति और फ़ीड लागत को दोषी।
  • उपभोक्ताओं ने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की।

Chiken Price Hike in Pakistan: लाहौर: पड़ोसी देश पाकिस्तान के कराची शहर में हाल के दिनों में चिकन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिससे आम खरीदार परेशान हैं। स्थानीय बाजारों में चिकन का मांस सरकार द्वारा तय दर 650 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 800 रुपये प्रतिकिलो कीमत पर बेचा जा रहा है।

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दुकानदारों का कहना है कि उन्हें पोल्ट्री फार्म संचालकों से ही चिकन महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है, जिस कारण वे इसे सरकारी दर पर बेचने में असमर्थ हैं। वहीं, निवासियों ने प्रशासन से इस बढ़ोत्तरी पर सख्त कदम उठाने की मांग की है, ताकि उपभोक्ताओं को आर्थिक शोषण से बचाया जा सके।

Chiken Price Hike in Pakistan: पोल्ट्री व्यापारियों के मुताबिक, ईद की छुट्टियों के दौरान मांग में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट और फ़ीड की बढ़ती लागत इस मूल्यवृद्धि के पीछे प्रमुख कारण हैं।

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प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट कार्रवाई की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन आम लोगों में बढ़ती नाराजगी को देखते हुए अधिकारियों पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वे स्थिति को जल्द नियंत्रण में लाएं।

1. कराची में चिकन की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?

चिकन की कीमतें मांग में वृद्धि, आपूर्ति में रुकावट, और पोल्ट्री फ़ीड की बढ़ती लागत के कारण बढ़ रही हैं।

2. क्या दुकानदार जानबूझकर चिकन महंगे दामों पर बेच रहे हैं?

दुकानदारों का कहना है कि पोल्ट्री फार्म से उन्हें चिकन महंगे दामों पर मिल रहा है, जिससे वे सरकारी दरों पर बेचने में असमर्थ हैं।

3. क्या सरकार ने चिकन की कीमतें नियंत्रित करने के लिए कोई कार्रवाई की है?

अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई घोषित नहीं की गई है, लेकिन बढ़ते जन असंतोष के चलते दबाव ज़रूर बढ़ रहा है।