कोरोना वायरस से परेशान दुनियाभर के बच्चों ने लगाई सांता क्लॉज से गुहार, पत्र के साथ मास्क भेजकर सुरक्षित रहने की भी दी सलाह | Children from all over the world troubled by corona virus have been charged with Santa

कोरोना वायरस से परेशान दुनियाभर के बच्चों ने लगाई सांता क्लॉज से गुहार, पत्र के साथ मास्क भेजकर सुरक्षित रहने की भी दी सलाह

कोरोना वायरस से परेशान दुनियाभर के बच्चों ने लगाई सांता क्लॉज से गुहार, पत्र के साथ मास्क भेजकर सुरक्षित रहने की भी दी सलाह

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : November 29, 2020/4:46 am IST

लिबोर्न (फ्रांस), 29 नवंबर (एपी) । साल 2020 लगभग पूरा ही कोरोना वायरस संबंधी महामारी के साए में निकल गया। इस साल कोई भी त्योहार, कोई भी अवसर पहले जैसा नहीं रहा बल्कि रोजमर्रा की दिनचर्या तक सामान्य नहीं रही। उन्मुक्त कुलांचे भरने वाले बच्चे भी वायरस के खौफ से घरों में कैद होकर रह गए।

अब दुनियाभर के बच्चों के सपनों को पूरा करने वाला त्योहार क्रिसमस करीब है और बच्चों ने अपने प्रिय सांता क्लॉज को चिट्ठियां भेज अपनी इच्छाएं और मन की बात बताई है। इन पत्रों में बच्चों ने जो बातें लिखी हैं, वे बताती हैं कि इस महामारी ने बच्चों के मन पर भी बहुत बुरा असर डाला है और एक अनजाना सा डर उनके भीतर समा गया है।

सांता को भेजे जाने वाले पत्र फ्रांस के एक डाकघर में आते हैं। इन पत्रों को छांटने वाले लोगों का कहना है कि हर तीन में से एक पत्र में कोरोना वायरस संबंधी महामारी का जिक्र है।

पांच साल की अलीना ने किसी बड़े व्यक्ति की मदद से भेजे पत्र में सांता से आगे के दरवाजे से आने का अनुरोध किया और कहा कि पीछे के दरवाजे से केवल दादा-दादी आते हैं ताकि वे इस वायरस से बचे रह सकें।

ताइवान के रहने वाले नन्हे जिम ने सांता को भेजे गए अपने लिफाफे में एक फेस मास्क भी डाल दिया और लिखा ‘आई लव यू’।

दस वर्षीय लोला ने सांता को लिखा कि उसकी आंटी को फिर से कैंसर न हो और यह वायरस भी खत्म हो जाए।

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लोला ने आगे लिखा, ‘‘मां मेरी देखभाल करती हैं और कभी-कभी मुझे उनके लिए डर लगता है।’’ उसने सांता से भी अपना ध्यान रखने को कहा।

दक्षिण-पश्चिम फ्रांस के एक डाकघर में इस वर्ष सांता को लिखे हजारों पत्र, कार्ड, नोट आ रहे हैं जहां इन पत्रों को छांटा जाता है और उनका जवाब भेजा जाता है।

नन्हे जो ने इस बार सांता से केवल एक म्यूजिक प्लेयर और अम्यूजमेंट पार्क की टिकट मांगी है क्योंकि “कोविड-19 के कारण यह साल पहले से अलग है।”

जो ने लिखा, “संक्रमण से बचे रहने के लिए ही मैं इस बार आपसे ज्यादा कुछ नहीं मांग रहा हूं।”

दुनिया के किसी भी कोने से “पेर नोएल” यानी फादर सांता को लिखा कोई भी पत्र अपना रास्ता फ्रांस के बोर्डो क्षेत्र के इस डाकघर तक बना ही लेता है। सांता के नाम पर आने वाली सारी डाक 1962 से इस डाकघर में आती हैं।

नवंबर-दिसंबर के महीनों में पत्रों के ढेर को छांटने का काम सांता के सहयोगी माने जाने वाले लोग करते हैं जिन्हें ‘एल्फ’ कहा जाता है।

एल्फ जमीला हाजी ने बताया कि 12 नवंबर को पहला पत्र खोलते ही पता चल गया था कि इस महामारी ने बच्चों पर कितना असर डाला है।

उन्होंने कहा कि आम तौर पर बच्चे खिलौने और गैजेट मांगते थे लेकिन इस बार बच्चे वैक्सीन, दादा-दादी के पास जाने की और जीवन सामान्य होने की मांग कर रहे हैं। हर तीन में से एक पत्र में महामारी का जिक्र किया गया है।

जमीला ने कहा, “फादर क्रिसमस को लिखे पत्र इन बच्चों के लिए एक राहत की तरह हैं। इस महामारी ने बच्चों को स्कूल, दोस्तों, खेल के मैदान, दादा-दादी से मिलने के मौकों से दूर कर दिया है। पत्र लिखकर बच्चे अपना दुख बयां कर सकते हैं।”

हर रोज 12,000 पत्रों के जवाब देते हुए ये 60 ‘एल्फ’ कहते हैं कि कुछ पत्र उन्हें हिलाकर रख देते हैं।

बाल मनोवैज्ञानिक एमा बैरन का कहना है कि जन्मदिन, छुट्टियां और त्योहार जैसे मौके बच्चों के बचपन को एक स्वरूप देते हैं।

इस महामारी के बीच 25 दिसंबर को यह क्रिसमस बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

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बच्चे ही नहीं, इस महामारी ने बड़ों को भी मानसिक रूप से काफी परेशान किया है और कई वयस्कों ने बचपन के बाद शायद पहली बार सांता को पत्र लिखा है।

इस संबंध में 77 वर्षीय एक बुजुर्ग ने लिखा,“ मैं अकेला रहता हूं और लॉकडाउन मेरे लिए बहुत मुश्किल है।”

वहीं, एक अन्य बुजुर्ग ने सांता से उनके दो पोतो-पोतियों को उनका प्रेम भेजने के लिए कहा क्योंकि वे उनसे इस साल नहीं मिल पाएंगे।

इस संबंध में एक और वयस्क ने सांता को लिखा,“ इस साल आपका काम काफी मुश्किल होगा।”

उन्होंने कहा, “आपको पूरी दुनिया में सितारे चमकाने होंगे ताकि सभी के मन को शांति मिले और हमारी आत्माओं को पुनर्जीवन मिले ताकि हम सपने देख सकें और इस दुनिया में खुशी से रह सकें।”