सीपीसी के नेतृत्व में चीन व्यापक बदलावों का गवाह बना : शी

सीपीसी के नेतृत्व में चीन व्यापक बदलावों का गवाह बना : शी

सीपीसी के नेतृत्व में चीन व्यापक बदलावों का गवाह बना : शी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:18 pm IST
Published Date: September 4, 2020 10:00 am IST

(के जे एम वर्मा)

बीजिंग, चार सितंबर (भाषा) चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का पुरजोर बचाव करते हुए कहा कि उसके नेतृत्व में देश “व्यापक बदलावों” का गवाह बना। उनका यह बयान तेज होती आलोचनाओं खासकर अमेरिका के द्वारा उसे अधिनायकवादी विचारधारा का अनुसरण करने वाली बताये जाने के बीच आया है।

‘जापानी आक्रामकता के खिलाफ प्रतिरोध युद्ध’ की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर बृहस्पतिवार को शी ने कहा कि चीनी लोग किसी व्यक्ति या ताकत द्वारा उन्हें सीपीसी से अलग करने के प्रयास को मंजूर नहीं करेंगे।

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आधिकारिक मीडिया ने यहां उनको उद्धृत करते हुए कहा, “सीपीसी के इतिहास को विकृत करने या उसकी प्रकृति और उद्देश्यों को कलंकित करने, चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद की राह को विकृत करने या बदलने अथवा समाजवाद के निर्माण में चीनी लोगों की महान उपलब्धियों को खारिज करने या उन्हें तिरस्कृत करने के किसी भी प्रयास का चीनी लोगों द्वारा पुरजोर विरोध किया जाएगा।”

सरकारी मीडिया ने कहा कि जापानी आक्रामकता के प्रतिरोध में किये गए युद्ध में जीत के बाद से देश के “आमूलचूल बदलाव” का गवाह बनने का जिक्र करते हुए शी ने कहा कि चीनी राष्ट्र का कायाकल्प एक “उज्ज्वल भविष्य” की शुरुआत कर रहा है क्योंकि चीन गरीबी उन्मूलन के अपने लक्ष्यों को लगभग पूरा करने के साथ ही हर लिहाज से एक समृद्ध समाज का निर्माण कर रहा है।

सीपीसी का नेतृत्व करने वाले सबसे शक्तिशाली नेता के तौर पर देखे जाने वाले शी ने अमेरिका पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि चीन पर “धमकाने वाली रणनीति” के तहत अपनी इच्छा थोपने और देश के विकास की राह को बदलने की कोशिश करने वाले किसी व्यक्ति या किसी ताकत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

शी की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अपनी आर्थिक और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं के लिए चीन को अमेरिका के बढ़ते राजनीतिक व आर्थिक दबाव के साथ ही भारत के साथ लगने वाली अपनी सीमा पर तनाव का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही यूरोपीय और दक्षिणपूर्वी एशियाई देश भी उसकी नीतियों को लेकर उसपर दबाव बना रहे हैं।

भाषा

प्रशांत पवनेश

पवनेश


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