चीन का कोविड संकट और उसके नेताओं के सामने दुविधा |

चीन का कोविड संकट और उसके नेताओं के सामने दुविधा

चीन का कोविड संकट और उसके नेताओं के सामने दुविधा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : May 11, 2022/4:49 pm IST

जेन डकेट, मेक्सुआन चेन और विलियम वांग, ग्लासगो विश्वविद्यालय

ग्लासगो, 11 मई (द कन्वरसेशन) चीन के वुहान शहर में सबसे पहले सामने आए कोरोनावायरस के घातक स्वरूप के दो साल से अधिक समय बाद , चीन अभी भी कोविड संकट में बंद है। माना जाता है कि वर्तमान में देश भर में लगभग 40 करोड़ लोग अभी भी किसी न किसी रूप में लॉकडाउन में रह रहे हैं।

चीन के सबसे बड़े शहरों में से एक, शंघाई, पिछले एक महीने से पंगु बना हुआ है, इसके कई निवासियों को जल्दबाजी में लगाई गई धातु की बाड़ के पीछे रखा गया है। राजधानी बीजिंग अब ऐसी ही स्थिति से बचने की कोशिश कर रही है।

चीन में कोविड के खिलाफ चल रहे और तेजी से हताश होते जा रहे संघर्ष की असाधारण कहानी अपने बुजुर्ग लोगों को पर्याप्त रूप से टीकाकरण करने में विफलता के साथ अपनी प्रारंभिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सफलताओं पर गर्व से बनी है, और पिछले पांच वर्षों में पश्चिम-विरोधी भावना में वृद्धि से प्रेरित है।

इसका परिणाम यह है कि चीन अब एक दुविधा का सामना कर रहा है: या तो वह वायरस के प्रकोप के कारण बड़ी संख्या में मौतें और स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ को झेले और या देश भर में लंबे समय तक लॉकडाउन और घर में रहने के आदेशों की तेजी से बढ़ती सामाजिक और आर्थिक लागत को वहन करे।

लेकिन चीन की कोविड दुविधा को हल करना और महामारी से बाहर निकलने का रास्ता खोजना चीन के शीर्ष नेता शी जिनपिंग के लिए मुश्किल है, जिनकी “शून्य-कोविड” रणनीति लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है।

शरद ऋतु में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पंचवर्षीय कांग्रेस में शी को विवादास्पद तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से नियुक्त किया जाना है।

वह कभी नहीं चाहेंगे कि उससे पहले बड़े पैमाने पर वायरस का प्रसार हो और उच्च मृत्यु दर हो, क्योंकि ऐसा होने पर उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचेगी और उनके और पार्टी के इस दावे को कमजोर करेगी कि उन्होंने अन्य देशों की तुलना में महामारी को बेहतर ढंग से प्रबंधित किया है।

चीन इस मुकाम तक कैसे पहुंचा? और यह उस संकट को हल करने के लिए क्या कर सकता है जो न केवल अपने लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए – और उन कई देशों के लिए भी खतरा है, जो इसकी विशाल आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर हैं।

ग्लासगो विश्वविद्यालय के स्कॉटिश सेंटर फॉर चाइना रिसर्च में, हम चीनी सरकार की कोविड रणनीति के रोलरकोस्टर विकास और इसकी रोकथाम उपायों के प्रभावों पर नज़र रख रहे हैं, क्योंकि वायरस की खबर पहली बार 2020 की शुरुआत में हमारे पास पहुंची थी। नीतिगत दस्तावेज़ों और सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी की समीक्षा के साथ शोधकर्ताओं की जमीनी रिपोर्ट के आधार पर, यह चीन के कोविड संकट का हमारा विश्लेषण है – वर्तमान, अतीत और भविष्य।

‘‘हर दिन मैं यह जानने के लिए जागता हूं कि यह 14-दिवसीय चक्र का पहला दिन है।’’ यह एक प्रसिद्ध रिपोर्टर, स्तंभकार और शंघाई में लंबे समय से रहने वाले वेई झोउ द्वारा वीचैट ब्लॉगपोस्ट (अब हटा दिया गया) का शीर्षक है।

जिस शहर को वह दो करोड़ 60 लाख से अधिक लोगों के साथ साझा करता है, वह अब एक महीने से अधिक समय से सख्त कोविड लॉकडाउन के दायरे में है।

वेई झोउ का शीर्षक उस विनियमन को संदर्भित करता है जिसमें कहा गया है कि एक आवासीय परिसर की 14-दिवसीय लॉकडाउन अवधि हर बार किसी नए परीक्षण के सकारात्मक होने पर शून्य पर रीसेट होनी चाहिए। नतीजतन, शहर के निवासी एक अजीब से अनिश्चय में जी रहे हैं।

लेकिन जिस तरह शंघाई के निवासी अब हर दिन को लॉकडाउन के पहले दिन के तौर पर देख रहे हैं, कम्युनिस्ट पार्टी का नेतृत्व भी सोच रहा होगा कि चीन इस महामारी और इससे पैदा हुई दुविधा से कैसे बच सकता है। वुहान में पहले कोविड लॉकडाउन के दो साल से अधिक समय बाद, चीन एक बार फिर वायरस के नवीनतम संस्करण, ओमिक्रोन के प्रसार को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है।

शंघाई में देखी गई सामाजिक आर्थिक अराजकता और राजनीतिक क्षति से बचने के एक हताश प्रयास में, चीन की राजधानी बीजिंग ने मई की शुरुआत में मामलों के प्रकोप के बाद बड़े पैमाने पर परीक्षण के आठ दौर शुरू किए। इसने एक सामूहिक अलगाव केंद्र को फिर से खोल दिया है, सभी रेस्तरां में भोजन की मनाही कर दी, और कम से कम 11 मई तक किंडरगार्टन, स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए।

स्थिति तेजी से बदल रही है: चाओयांग और हैडियन जिलों के सभी 66 लाख निवासियों को घर पर रहने के आदेशों का पालन करने के लिए कहा गया है, तीन मेट्रो लाइनों को निलंबित कर दिया गया है और छह अन्य को आंशिक रूप से बंद कर दिया गया है।

इस बीच शंघाई में, जिसकी सड़कें संक्रमण दर गिरने के बावजूद डराने की हद तक खाली रहती हैं, भविष्य स्पष्ट नहीं है।

चूंकि मार्च की शुरुआत में नये मामले सामने आने लगे थे, इसलिए निवासियों ने कई ऐसे उपायों का अनुभव किया है जो प्रकोप से निपटने के लिए अधिकारियों के अभी भी अल्पविकसित दृष्टिकोण को प्रदर्शित करते हैं।

पहले शंघाई को बंद करने के बाद, वहां जाने और वहां से आने वाले परिवहन संपर्क को काटने के बाद, उन्होंने पूरी आबादी में बड़े पैमाने पर परीक्षण शुरू किया, शहर को दो हिस्सों में विभाजित किया और उनके बीच में आवाजाही को रोका।

फिर उन्होंने तीन-ज़ोन रोकथाम और नियंत्रण उपायों की शुरुआत की, जो शहर को ‘‘सील्ड नियंत्रण क्षेत्रों’’, जो घर पर रहने के आदेशों के अधीन होते हैं, ‘‘प्रबंधित नियंत्रण क्षेत्र’’ लोगों को सीमित स्थानीय आवाजाही की अनुमति देते हैं, और ‘‘एहतियाती क्षेत्र’’ कम प्रतिबंध में विभाजित करते हैं।

सिद्धांत रूप में, यह दृष्टिकोण अत्यधिक स्थानीय उपायों के माध्यम से शहर-व्यापी तालाबंदी से बचाता है। व्यवहार में, इसने इसके विपरीत किया है क्योंकि नियमों को बहुत सख्ती से लागू किया गया है।

अप्रैल के मध्य से संक्रमण दर में लगातार गिरावट के बावजूद, एहतियाती क्षेत्रों के निवासियों को अभी भी अपने क्षेत्र को छोड़ने और सड़कों पर जाने के लिए परमिट की आवश्यकता है। निजी कारों को शहर में घूमने के लिए परमिट की आवश्यकता होती है। शंघाई में विश्वविद्यालय के छात्रों को सूचित किया गया है कि उनकी कक्षाएं कम से कम जून के अंत तक ऑनलाइन जारी रहेंगी।

साथ ही ओमिक्रोन को नियंत्रित करने के अपने प्रयासों को दोगुना करने के साथ ही, चीनी अधिकारियों ने इन्हें कम आंकने की पूरी कोशिश की है। स्थानीय सरकारें कभी-कभी व्यंजनापूर्ण शब्दों का प्रयोग करती हैं, जबकि यह दावा करती हैं कि वे शहर-व्यापी लॉकडाउन को लागू नहीं कर रही हैं।

थ्री-ज़ोन नीति एक उदाहरण है, लेकिन जब यह निवासियों के लिए भ्रम पैदा करती है, यह कम प्रतिबंधों के मार्ग की कुछ आशा भी प्रदान करती है। ऐसा करने पर, यह निवासियों का ध्यान सरकार की आलोचना करने से हटाकर अपने आस-पड़ोस में मामलों की संख्या की देखभाल करने पर लगा देती है।

और जबकि शंघाई के लॉकडाउन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा है, यह गंभीर प्रतिबंधों का सामना करने वाली एकमात्र जगह नहीं है।

यात्रा प्रतिबंधों और घर में रहने के आदेशों की सीमा पर विश्वसनीय राष्ट्रीय आंकड़े हासिल करना मुश्किल है, लेकिन यह अनुमान लगाया गया है कि उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक, चीन के 45 और 87 शहरों के बीच घर में रहने का आदेश कहीं कम कहीं ज्यादा हो सकता है।

बीजिंग और हेनान प्रांत की राजधानी झेंग्झौ में चार मई को तालाबंदी से पहले ही, अनुमान लगाया गया था कि इससे 37 करोड़ 50 लाख लोग प्रभावित हुए थे।

कम घनी आबादी वाले ग्रामीण इलाकों में भी ग्रामीण आबादी पर असर पड़ रहा है। उत्तर-पूर्व के कुछ हिस्सों में किसानों को ‘‘बुवाई प्रमाणपत्र’’ लेने पर ही अपने खेतों में काम करने दिया जा रहा है। कम से कम एक किसान को अपने खेत में अकेले काम करते हुए कोविड प्रतिबंध तोड़ने पर हिरासत में लिया गया।

द कन्वरसेशन

एकता

एकता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)