Covid reaches North Korea, threat of humanitarian emergency

इस देश में 14 लाख लोग बुखार से पीड़ित, मौत के आंकड़ों ने डराया, घोषित किया आपातकाल

Covid reaches North Korea : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च 2020 में कोविड-19 को एक महामारी घोषित किया

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:26 PM IST, Published Date : May 18, 2022/3:01 pm IST

साउथम्प्टन। Covid reaches North Korea  : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च 2020 में कोविड-19 को एक महामारी घोषित किया। लेकिन उत्तर कोरिया ने हाल फिलहाल, मई 2022 में, वायरस के अपने पहले पुष्ट मामलों की सूचना दी है।

हालांकि यह कुछ हद तक आश्चर्यजनक लग सकता है कि एक देश इतने समय तक बीमारी के प्रकोप से बचे रहने में कामयाब रहा, उत्तर कोरिया ने जनवरी 2020 से अपनी सीमाओं को सील कर दिया था, देश में या उसके बाहर कोई आवाजाही नहीं रही। तो यह प्रशंसनीय है कि वहां कोविड का नामो-निशान नहीं था।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

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लेकिन अब, वही देश, जिसकी आबादी लगभग दो करोड़ ₨60 लाख है वायरस के ओमिक्रोन संस्करण के एक बहुत बड़े और तेजी से फैलने वाले प्रकोप का सामना कर रहा है।

Covid reaches North Korea  :  17 मई तक, ‘‘बुखार’’ के 14 लाख मामले सामने आए थे, जिसमें अप्रैल के अंत से 56 मौतें हुई थीं। टेस्टिंग सुविधाओं की कथित कमी के कारण देश बुखार को कोविड ​​​​संक्रमण के संकेत के रूप में मान रहा है।

बेशक, हम नहीं जानते कि बुखार के इन मामलों में से कितने निश्चित रूप से कोविड हैं, जो सैद्धांतिक रूप से मामलों की संख्या को ज्यादा आंक सकते हैं। साथ ही, मामलों का एक अनुपात बिना लक्षण वाला होने की संभावना है, और सीमित निगरानी के साथ मामलों की सूचना में कमी का मतलब है कि मामलों की सटीक संख्या मालूम कर पाने की संभावना नहीं है।

कुछ परीक्षण हो रहे हैं, जिसमें अज्ञात संख्या में ओमिक्रोन मामलों की पुष्टि हुई है। लेकिन आखिरकार, इस प्रकोप के बारे में हमारे ज्ञान में बहुत बड़ा अंतर है। इसमें इंडेक्स केस शामिल है – वह केस जो इस प्रकोप का स्रोत था।

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उत्तर कोरिया के पास कोविड के प्रकोप से निपटने की सुविधाएं नहीं हैं

कोविड महामारी ने उच्च गुणवत्ता वाले वास्तविक आंकड़ों को राष्ट्रीय और वैश्विक पैमाने पर पेश करने और महामारी की सतत निगरानी के साथ ही बड़े पैमाने पर परीक्षण के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की जरूरत बताई है। ऐसा लगता है कि उत्तर कोरिया में इसमें से कुछ भी नहीं है।

महत्वपूर्ण रूप से, चीन और कोवैक्स से आपूर्ति के पिछले प्रस्तावों के बावजूद, उत्तर कोरिया में कोई ज्ञात कोविड टीकाकरण कार्यक्रम नहीं है।

Covid reaches North Korea  :  सरकार ने पहले चीन से तीस लाख सिनोवैक खुराक को लौटा दिया था, साथ ही एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को भी स्वीकार नहीं किया था। वैक्सीन के कथित साइड इफेक्ट पर चिंता जताते हुए यह कदम उठाया गया था।अब, दक्षिण कोरिया ने वैक्सीन की खुराक दान करने की पेशकश की है, लेकिन उत्तर कोरिया ने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है।

कुछ हद तक, उत्तर कोरिया उसी स्थिति में है जहां शेष दुनिया 2020 के मध्य तक थी।

सरकार ने राष्ट्रीय तालाबंदी का आदेश दिया है। निवासियों के लिए इसके सामाजिक-आर्थिक परिणाम होंगे, लेकिन, कुल मिलाकर, शायद एक समझदार कदम है, यह देखते हुए कि आबादी में वायरस के खिलाफ बहुत कम प्रतिरक्षा होगी, चाहे वह पूर्व संक्रमण के माध्यम से हो या टीकाकरण के सुरक्षित मार्ग से।

किम जोंग-उन ने अधिकारियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की ‘‘अपर्याप्त महामारी प्रतिक्रिया’’ के लिए उसकी आलोचना करते हुए सेना को दवाएं और आपूर्ति वितरित करने का भी आदेश दिया है।

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उत्तर कोरिया में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली कमजोर बताई जा रही है, खासकर राजधानी प्योंगयांग से दूर।

महामारी का प्रकोप कुछ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को आसानी से प्रभावित कर सकता है। स्वास्थ्य देखभाल के अन्य क्षेत्रों पर इसका असर होगा। उदाहरण के लिए, गैर-संचारी रोगों का सामना कर रहे रोगियों की देखभाल प्रभावित हो सकती है ।

टीकाकरण अभियान जैसे अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करने के लिए लॉकडाउन कम से कम देश को कुछ समय देगा।

इस कोविड प्रकोप से उत्तर कोरिया में बीमारी का एक बड़ा बोझ पैदा होने की संभावना है, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी दबाव पड़ेगा। जनसंख्या को निस्संदेह बहुत नुकसान होगा, चाहे स्वास्थ्य परिणामों की सार्वजनिक रिपोर्टिंग पूर्ण परिणाम दिखाती हो या नहीं।

व्यापक रूप से कोविड टीकाकरण की तत्काल आवश्यकता है, विशेष रूप से वृद्ध और कमजोर लोगों के लिए। वक्त का तकाजा है कि अब उत्तर कोरिया बाहरी दुनिया के प्रति अपने सामान्य संदेह को दूर करके मदद के अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों को स्वीकार करे।

(माइकल हेड, वैश्विक स्वास्थ्य में सीनियर रिसर्च फेलो साउथम्प्टन विश्वविद्यालय)