चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपे जाने संबंधी समझौते पर रोक

चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपे जाने संबंधी समझौते पर रोक

चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपे जाने संबंधी समझौते पर रोक
Modified Date: May 22, 2025 / 02:26 pm IST
Published Date: May 22, 2025 2:26 pm IST

लंदन, 22 मई (एपी) ब्रिटेन की एक अदालत ने चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को हस्तांतरित करने से ब्रिटेन को रोक दिया है। बृहस्पतिवार को इस बाबत एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने से कुछ घंटे पहले अदालत का फैसला आया।

ब्रिटेन ने हिंद महासागर के इस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपने पर सहमति जताई है। यहां सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नौसैनिक और बमवर्षक अड्डा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से इस संबंध में परामर्श लिया गया था और उसने अपनी स्वीकृति दे दी, लेकिन लागत को लेकर अंतिम क्षणों में बातचीत के बाद सौदे को अंतिम रूप देने में देरी हुई।

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बृहस्पतिवार सुबह एक वर्चुअल समारोह में समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने थे। लेकिन बृहस्पतिवार तड़के उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने समझौते पर रोक लगाते हुए निषेधाज्ञा जारी कर दी। द्वीप के मूल निवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाली दो महिलाओं के दावे पर यह फैसला आया।

न्यायाधीश जूलियन गूज ने कहा, ‘‘प्रतिवादी को अगले आदेश तक ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र पर ब्रिटेन (यूके) के अधिकार क्षेत्र को बनाए रखना है।’’

अदालती में अगली सुनवाई स्थानीय समयानुसार सुबह 10:30 बजे के लिए निर्धारित है।

ब्रिटेन ने 1965 में मॉरीशस से इन द्वीपों को अलग कर दिया था, जो कि एक पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश था। मॉरीशस को इसके तीन साल बाद स्वतंत्रता मिली। इस द्वीपसमूह को चागोस द्वीपसमूह नाम दिया गया।

भाषा वैभव नरेश

नरेश


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