दुबई, 28 अप्रैल (एपी) ईरान के एक प्रमुख बंदरगाह पर हुए भीषण विस्फोट में मरने वालों की संख्या सोमवार को बढ़कर 65 हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। घटनास्थल से प्राप्त खबरों से विस्फोट के कारण के बारे में और अधिक सवाल उठे हैं।
ईरानी सरकारी टेलीविजन ने स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बंदर अब्बास के पास शाहिद राजाई बंदरगाह पर हुए विस्फोट में मरने वालों की संख्या की सूचना दी।
अधिकारियों ने अभी तक विस्फोट के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
निजी सुरक्षा फर्म एम्ब्रे का कहना है कि बंदरगाह को मार्च में मिसाइल ईंधन रसायन प्राप्त हुआ था।
कंपनी ने कहा कि बंदरगाह पर मार्च में ‘‘सोडियम परक्लोरेट रॉकेट ईंधन’’ की खेप आई थी। यह ईंधन चीन से दो जहाजों द्वारा ईरान भेजी गई खेप का हिस्सा है, जिसके बारे में जनवरी में ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने पहली बार खबर प्रकाशित की थी।
इस ईंधन का उपयोग ईरान में मिसाइल भंडार को पुन: स्थापित करने के लिए किया जाना था, जो गाजा पट्टी में हमास के साथ युद्ध के दौरान इजराइल पर सीधे हमलों के कारण समाप्त हो गया था।
एम्ब्रे ने कहा, ‘‘यह आग कथित तौर पर ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों में उपयोग के लिए भेजे गए ठोस ईंधन की खेप को ठीक तरीके से नहीं रखने की वजह से हुआ।’’
वहीं, ईरानी सेना ने रासायनिक खेप मिलने से इनकार किया है।
सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में विस्फोट से ठीक पहले आग से लाल रंग का धुआं उठता हुआ दिख रहा है। इससे पता चलता है कि विस्फोट में कोई रासायनिक यौगिक शामिल था, जैसा कि 2020 में बेरूत बंदरगाह विस्फोट में हुआ था।
रविवार देर रात ईरान की समाचार एजेंसी अर्ध-सरकारी इलना ने बंदरगाह पर कार्यरत समुद्री सेवा कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी सईद जाफरी के हवाले से कहा कि विस्फोट से संबंधित माल के बारे में गलत बयान दिए गए हैं।
जाफरी ने कहा, ‘‘यह घटना खतरनाक सामान के बारे में गलत बयान देने और बिना दस्तावेजों तथा टैग के इसे पहुंचाए जाने के बाद हुई।’’
समाचार एजेंसी की एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया कि जिस माल के कारण विस्फोट हुआ, उसके बारे में सीमा शुल्क अधिकारियों को भी सूचना नहीं दी गई थी।
एपी नेत्रपाल माधव
माधव
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