चंद्रमा से ली गईं अलग-अलग तस्वीरें बदल देती हैं पृथ्वी को देखने का नजरिया

चंद्रमा से ली गईं अलग-अलग तस्वीरें बदल देती हैं पृथ्वी को देखने का नजरिया

चंद्रमा से ली गईं अलग-अलग तस्वीरें बदल देती हैं पृथ्वी को देखने का नजरिया
Modified Date: December 13, 2022 / 10:14 am IST
Published Date: December 13, 2022 9:18 am IST

एडिलेड : Different pictures of moon : अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) के ‘ओरियन’ अंतरिक्ष यान की ली हुई एक तस्वीर ने हमारे गृह पृथ्वी को लेकर एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है। यह तस्वीर आर्टेमिस-1 मिशन के दौरान ली गई। इस मिशन के तहत चंद्रमा के आसपास चक्कर लगाने के लिए एक मानवरहित यान भेजा गया था, जो वापस पृथ्वी की ओर लौट रहा है। अब नासा 2025 में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने की योजना पर काम कर रहा है।

हम हर रोज उपग्रहों और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से पृथ्वी की तस्वीरें प्राप्त करते हैं। लेकिन चंद्रमा के दूसरी तरफ से पृथ्वी को देखने में कुछ अलग बात है। यह तस्वीर किसी दूसरे गृह से ली गईं पृथ्वी की अन्य ऐतिहासिक तस्वीरों की तुलना में कैसी है?

दिसंबर 1968 में, अपोलो 11 मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर पहुंचे। जब उन्होंने देखा कि पृथ्वी चंद्रमा के क्षितिज से ऊपर उठी हुई है, तो उन्हें पता चला कि यह कुछ खास है। लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों ने इसकी रंगीन तस्वीर खींचने के लिए काफी जद्दोजहद की। इस तस्वीर को ‘अर्थराइज’ कहा जाता है। फोटोग्राफर गैलेन रोवेल ने दल की ली हुई तस्वीर को “अब तक की सबसे प्रभावशाली पर्यावरणीय तस्वीर” कहा।

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छह साल पहले, जीवविज्ञानी राहेल कार्सन की पुस्तक ‘साइलेंट स्प्रिंग’ ने लोगों का इस बात की ओर ध्यान आकर्षित किया कि कैसे मानव उद्योग स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पुस्तक की वजह से पर्यावरण आंदोलन फिर से जिंदा होने लगे। इसके बाद ‘अर्थराइज’ तस्वीर पर चर्चा होने लगी। ‘स्पेसशिप अर्थ’ की लेखक और अर्थशास्त्री बारबरा वार्ड ने कहा, “इन सबसे ऊपर, हम अंतरिक्ष यात्रियों की नजरों से चंद्रमा के बंजर क्षितिज से ऊपर उठे हुए अपने छोटे व सुंदर ग्रह धरती को देखने वाली पीढ़ी में शामिल हैं।”

Different pictures of moon :आखिरी अपोलो मिशन 1972 में हुआ था। चंद्रमा की ओर जाते समय अंतरिक्ष यात्रियों ने सूर्य की रोशनी से जगमग पूरी पृथ्वी की तस्वीर खींची थी। इस तस्वीर में पृथ्वी किसी कंचे की तरह दिखाई दी, इसलिए इसे “ब्लू मार्बल” यानी नीला कंचा नाम दिया गया। ‘अर्थराइज’ तस्वीर की तरह “ब्लू मार्बल” तस्वीर भी पर्यावरणीय आंदोलन का प्रतीक बन गई। इसने वैश्विक स्तर पर पृथ्वी के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया।

साल 1990 में वायेजर 1 अंतरिक्ष यान से पृथ्वी की सबसे अधिक दूरी से तस्वीर ली गई। यह तस्वीर 6 अरब किलोमीटर की दूरी से ली गई थी। इस तस्वीर को “पेल ब्लू डॉट” कहा जाता है। एक ओर जहां “ब्लू मार्बल” तस्वीर के पृथ्वी की नाजुक हालत के बारे में पता चला, तो वहीं “पेल ब्लू डॉट” तस्वीर ने ब्रह्मांड में पृथ्वी के महत्व को रेखांकित किया।

ओरियन अंतरिक्ष यान से ली गई तस्वीर हमें कुछ अलग जानकारी प्रदान करती है। नासा ने बृहस्पतिवार को अपने ट्विटर हैंडल से चंद्रमा की सतह की कुछ तस्वीरें साझा कीं। ओरियन के ‘क्रू मॉड्यूल’ पर लगे कैमरे ने चंद्रमा की सतह की कुछ तस्वीरें खीचीं हैं। इन ‘ब्लैक एंड वाइट’ तस्वीरों में चंद्रमा की सतह पर मौजूद गड्ढों को बेहद करीब से देखा जा सकता है। ‘ओरियन’ इस तरह की कई अद्भुत तस्वीरें धरती पर भेज चुका है।

इसी तरह, चंद्रमा से पृथ्वी की कई और तस्वीरें ली गईं हैं और हर तस्वीर में हमें अपने इस ग्रह का एक नया रूप देखने को मिला है। विज्ञान की दुनिया में ऐसी हर तस्वीर का अपना महत्व होता है, जिसके जरिए वैज्ञानिक ब्रह्मांड के रहस्यों के बारे में जानकारी हासिल करते हैं।

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