वेटिकन सिटी, 21 अप्रैल (एपी) अपने विनम्र स्वभाव और गरीबों के प्रति चिंता से एक सहृदय पोप के रूप में विश्व पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले कैथोलिक समुदाय के पहले लैटिन अमेरिकी पादरी पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे।
पोप के निधन की घोषणा के बाद, पूरे रोम में चर्च के टावर के घंटे बजने लगे।
कार्डिनल केविन फेरेल ने डोमस सेंटा मार्टा के चैपल से यह घोषणा की, जहां फ्रांसिस रहते थे।
कार्डिनल केविन फेरेल वेटिकन के कैमरलेंगो हैं। कैमरलेंगो की पदवी उन कार्डिनल या उच्चस्तरीय पादरी को दी जाती है जो पोप के निधन या उनके इस्तीफे की घोषणा के लिए अधिकृत होते हैं।
फेरेल ने घोषणा की, ‘‘रोम के बिशप, पोप फ्रांसिस आज सुबह 7.35 बजे (प्रभु)यीशु के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु यीशु और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित रहा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (पोप ने) हमें निष्ठा, साहस और सार्वभौम प्रेम के ईसोपदेश के मूल्यों के साथ जीना सिखाया, विशेष रूप से सबसे गरीब और हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए।’’
फेरेल ने कहा कि प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य के रूप में अपार कृतज्ञता के साथ, ‘‘हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को’’ ईश्वर के असीम, दयालु प्रेम को सौंपते हैं।
फ्रांसिस फेफड़ों संबंधी रोग से पीड़ित थे और युवावस्था में उनकी सर्जरी के दौरान चिकित्सकों को उनके फेफड़े का एक हिस्सा निकालना पड़ा था।
पोप को 14 फरवरी 2025 को, सांस लेने में तकलीफ होने के कारण जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके स्वास्थ्य से संबंधित इस समस्या ने बाद में ‘डबल निमोनिया’ का रूप ले लिया था। वह अस्पताल में 38 दिन भर्ती रहे थे, जो पोप के पद पर उनके 12 साल के कार्यकाल के दौरान अस्पताल में (भर्ती) रहने की सबसे लंबी अवधि थी।
हालांकि, वह अपने निधन से एक दिन पहले, बीते ईस्टर रविवार को सेंट पीटर्स स्क्वायर में हजारों लोगों को आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित हुए और वहां उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।
कार्डिनल फेरेल ने कहा, ‘‘पोप फ्रांसिस ने चर्च को हमेशा सभी लोगों को समाहित करने के लिए विस्तारित किया और वह इससे किसी को भी बाहर नहीं रखना चाहते थे।’’
एपी सुभाष नरेश
नरेश
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