जंगल में आग दुनिया के सबसे बड़े वन पारिस्थितिकी को कार्बन उत्सर्जन का स्रोत बना रही
जंगल में आग दुनिया के सबसे बड़े वन पारिस्थितिकी को कार्बन उत्सर्जन का स्रोत बना रही
(टडास निकोनोवास और स्टीफन एच डोएर, स्वान्जी विश्वविद्यालय)
स्वान्जी (ब्रिटेन), छह मार्च (द कन्वरसेशन) उत्तरी गोलार्द्ध के बोरियल वन स्कैन्डिनेविया से साइबेरिया, अलास्का और कनाडा तक फैले हुए हैं। ये दुनिया की कुल भूमि के दसवें हिस्से तक फैले हैं लेकिन धरती का एक तिहाई कार्बन सोख रहे हैं।
अब पत्रिका साइंस में प्रकाशित एक नए अध्ययन दावा किया गया है कि ऊंचे उत्तरी अक्षांश में जंगल में आग लगने से होने वाला उत्सर्जन चिंताजनक दर से बढ़ रहा है।
बोरियल वन उच्च अक्षांश वातावरण में पाए जाने वाले जंगल होते हैं जहां छह से आठ महीने तक बर्फ जमाने वाला तापमान रहता है।
इन जंगलों में ठंडी जलवायु और अक्सर जलभराव वाली जमीन की वजह से पेड़ों की गिरी हुई छाल और अन्य मृत कार्बनिक पदार्थ को अपघटित होने में वक्त लगता है। इससे मिट्टी में हजारों वर्षों से कार्बन एकत्रित हो गया है। इसके बाद बिजली कड़कने से जंगल में लगी आग ने इस पारिस्थतिकी को बदल दिया है।
ये आग पेड़ों तथा मिट्टी की ऊपरी परत में एकत्रित कार्बन को वायुमंडल में छोड़ती है। मिट्टी से कार्बन का छोड़ा जाना काफी महत्वपूर्ण है। इसका मतलब है कि बोरियल वन में लगने वाली आग से अन्य पारिस्थतिकी में उतनी ही लगने वाली आग के मुकाबले 10 से 20 गुना अधिक कार्बन छोड़ा जाएगा।
हालांकि, बोरियल वन में सदी में एक ही बार आग लग सकती है, कई बार इससे भी ज्यादा वक्त लग सकता है। पिछले 6,000 या उससे अधिक वर्षों से कार्बन सोखने तथा छोड़ने के बीच यह नाजुक संबंध काफी स्थिर है और बोरियल वन कार्बन सोखने के लिए वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
लेकिन वैश्विक ताप इस संतुलन को खतरे में डाल रहा है। बढ़ते तापमान ने आग की अवधि तथा वन्य आग की गंभीरता को बढ़ा दिया है और इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि जैसे-जैसे आग लगने के बीच का अंतराल कम होता है तो बोरियल वन में जैविक मिट्टी से अधिक कार्बन छोड़ा जा रहा है जो पारिस्थितिकी में फिर से कार्बन सोखने के अनुपात के मुकाबले ज्यादा है।
वन्य आग से उत्सर्जित गैस का पता लगा सकते हैं उपग्रह :
अनुसंधानकर्ता खासतौर से चीन के शोधकर्ता कार्बन मोनोऑक्साइड का पता लगाने के लिए जंगल में लगने वाली आग से निकलने वाले धुएं पर नजर रखने के वास्ते उपग्रह का इस्तेमाल करते हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड भी अपने आप में एक ग्रीनहाउस गैस नहीं है लेकिन अगर आप जानते हैं कि यह कितनी है तो आप वन्य आग से निकलने वाले धुएं में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का पता लगा सकते हैं।
नए अध्ययन में पता चला है कि पिछले दो दशकों में बोरियल वन में लगने वाली आग से निकलने वाला उत्सर्जन बढ़ गया है। अगर यह प्रवृत्ति जारी रहती है तो बोरियल वन जल्द ही वैश्विक उत्सर्जन का प्रमुख स्रोत बन सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के बीच, निश्चित रूप से यह पारिस्थितिकी के लिए एक चिंताजनक संकेत है और इसका समय रहते समाधान करना जरूरी है।
द कन्वरसेशन
गोला मनीषा
मनीषा

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