महामारी के दौरान अकेलेपन के शिकार समलैंगिक लोगों ने ऑनलाइन बनाए नये समुदाय | Gay people who suffered loneliness during epidemic create new community online

महामारी के दौरान अकेलेपन के शिकार समलैंगिक लोगों ने ऑनलाइन बनाए नये समुदाय

महामारी के दौरान अकेलेपन के शिकार समलैंगिक लोगों ने ऑनलाइन बनाए नये समुदाय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : June 28, 2021/6:02 am IST

जेसिका फील्ड्स, जेम्स के गिब और सारा ए विलियम्स, टोरंटो विश्वविद्यालय टोरंटो, 28 जून (द कन्वरसेशन) कनाडा के ज्यादातर लोगों की तरह देश के समलैंगिक समुदाय के लोगों ने भी पिछला साल घर में बिताया ताकि जोखिम और अनिश्चितता से भरी दुनिया में खुद को सुरक्षित रख सकें।

कुछ समलैंगिक लोगों के लिए, घर पर समय गुजारने का अर्थ था अपने समुदाय और दोस्तों से दूर वक्त गुजारना जो उनकी विशेष पहचान और जरूरतों को समझते हैं। ऐसे में इन लोगों ने घर में रहने के दौरान नये समलैंगिक समुदाय बनाए-ऐसे समुदाय जो इन्हें अपनेपन और पहचान की भावना प्रदान करते हैं। टोरंटो स्कारबोरो विश्वविद्यालय में छात्र और संकाय शोधकर्ताओं की हमारी टीम ने 366 समलैंगिक लोगों से बात करके कोविड-19 महामारी के दौरान के उनके अनुभव को जानने के संबंध में सर्वेक्षण किया।

सर्वेक्षण प्रतिक्रियाओं से संकेत मिलता है कि भिन्न लैंगिक आवश्यकताओं वाले लोगों के लिए महामारी के दौरान परिवार के साथ रहना महत्वपूर्ण रूप से उच्च अवसाद, चिंता और अकेलेपन से जुड़ा था।

अवसाद, चिंता और अकेलेपन के इन अनुभवों के बारे में अधिक जानने के लिए, हमने पिछले डेढ़ साल में अपने सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं में से 46 का साक्षात्कार लिया। उन साक्षात्कारों में, हमने न केवल उनके अकेलेपन के बारे में जाना, बल्कि इस दौरान बने नए संबंधों के बारे में भी जानकारी हासिल की, जो सामुदायिक और सार्वजनिक जीवन में उनकी वापसी का रास्ता बनाएंगे।

समर्थन के लिए संघर्ष

हमारा अध्ययन उन कई अध्ययनों में से एक है जो कोविड-19 महामारी के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी एकत्र करते हैं – विशेष रूप से सामाजिक दूरी और घर के भीतर रहने के आदेशों के बारे में – जो समलैंगिक लोगों के स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल हो सकते हैं।

यह शोध लगातार उन तरीकों की ओर इशारा करता है जो समलैंगिक लोगों पर कोविड-19 के दौरान संरचनात्मक और सांस्कृतिक दुराव के रूप में सामने आती हैं।

उदाहरण के लिए, कोविड-19 समलैंगिक लोगों में चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का जोखिम और बढ़ा देता है, जो लंबे समय से इन स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होने के कगार पर हैं। इस श्रेणी के वृद्ध लोगों के लिए तो यह जोखिम और भी ज्यादा है क्योंकि सामान्य परिस्थितियों में भी उनका इन समस्याओं से पीड़ित होने का जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में दुगुना होता है।

इन अध्ययनों की तरह, हमने पाया कि कई युवा समलैंगिक लोगों को वह समर्थन नहीं मिला, जिसकी उन्हें जरूरत थी और ऐसा विशेष रूप से परिवार की तरफ से हुआ।

युवा समलैंगिकों की सबसे अच्छे हालात में सुरक्षित और स्थायी आवास तक पहुंच कम थी (हमारे सर्वेक्षण में शामिल 10 लोगों में से लगभग एक को अपने जीवन में कभी न कभी बेघर होना पड़ा) इसका मतलब है कि कोविड-19 के दौरान कई युवा समलैंगिक लोग अपने मूल परिवारों के पास वापस चले गए।

परिवार के साथ रहने की व्यवस्था ने युवा लोगों को अनिश्चियपूर्ण समय में भले ही कुछ स्थिरता प्रदान की हो, लेकिन उन्हें इस स्थिरता की कीमत भी चुकानी पड़ी। 20 की आसपास के उम्र के एक अश्वेत उभयलिंगी साक्षात्कारकर्ता ने बताया,‘‘मैं उन रिश्तेदारों के साथ रहता हूं जो लगातार मुझे घर से बाहर निकालने और मुझे बेघर करने की धमकी देते रहते हैं।’’ यह युवक सिर्फ इसलिए अपने परिवार के साथ ‘कोठरी में’ रहने को मजबूर है ताकि उसे बेघर होकर अपने जैसे बाकी लोगों के साथ सड़क पर न रहना पड़े।

ऐसे लोग जो बेघर होने के खतरे का सामना नहीं करते हैं, उन्हें लगातार अपने परिवार के सदस्यों के खराब और शत्रुतापूर्ण व्यवहार से गुजरना पड़ता है। खुद को ‘‘गैर-बाइनरी ट्रांस फीमेल’’ बताने वाली 19 बरस की एक साक्षात्कारकर्ता ने कहा, ‘‘वह, (परिवार के सदस्य) कहते हैं कि वह मेरा समर्थन करते हैं, लेकिन वह वास्तव में ऐसा नहीं करते। वह मुझे मेरे नाम से नहीं बुलाते और मुझे लगता है कि वह सिर्फ मुझे झेलते हैं।’’

अनुसंधान से यह समझ में आता है कि समलैंगिक और इसी तरह की अन्य यौन विविधता वाले लोगों की जरूरतों को पूरा करने और कोविड-19 के दौरान उन्हें आ रही अकेलेपन से जुड़ी समस्याओं को कम करने के लिए उनके प्रति बेहतर व्यवहार की जरूरत है।

जिन लोगों से हमने बात की उनमें से कुछ इस बात से चिंतित थे कि महामारी के कारण विशेष यौन आवश्यकताओं वाले युवा अपनी तरह के लोगों की खोज करने और समुदाय के निर्माण के महत्वपूर्ण अनुभवों से चूक गए हैं।

हालाँकि, अन्य लोगों ने महामारी के दौरान नए समुदायों को ऑनलाइन खोजने का वर्णन किया। वे उम्मीद करते हैं कि वे रिश्ते और कनेक्शन उन्हें दुनिया के फिर से खुलने पर अधिक देखभाल करने वाले और स्थायी समुदायों के निर्माण में मदद करेंगे।

हमारे सर्वेक्षण में शामिल युवा समलैंगिक, जिन्होंने महामारी के दौरान दूसरों के साथ ऑनलाइन संपर्क स्थापित किया है उन्हें उम्मीद है कि हालात सामान्य होने पर वह अधिक आशा के साथ सार्वजनिक जीवन में वापसी कर सकेंगे।

एक उभयलिंगी सीआईएस महिला जो अपनी उम्र के 30 के दशक में है, एक ऑनलाइन समूह से संबंधित है, जो कुछ लोगों के साथ फिल्में देखने और वीडियो गेम खेलने के रूप में शुरू हुई थी। एक साल बाद, समूह लगभग 50 लोगों तक बढ़ गया है जो न केवल फिल्मों और वीडियो गेम बल्कि उनके लिंग और कामुकता के बारे में भी विचार साझा करते हैं।

इस साक्षात्कारकर्ता ने भविष्य में अधिक आरामदायक माहौल होने की उम्मीद जाहिर करते हुए कहा …‘‘मैं इन लोगों और इस महान समुदाय को जानती हूं, जिन्होंने मुझे खुली बांहों से अपनाया है और जब चीजें फिर से खुलेंगी तो हम एक दूसरे से मिलेंगे और वह ठीक ऐसा होगा जैसे इन्होंने मुझे अपने संरक्षण में ले लिया है। भले ही अभी सब कुछ रुका हुआ हो, लेकिन यह एहसास वास्तव में मुझे सहज बना रहा है … मेरे पास दोस्तों का एक समूह है।’’

द कन्वरसेशन एकता एकता

एकता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)