विस्थापन शरणार्थियों की आंतों के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है

विस्थापन शरणार्थियों की आंतों के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है

विस्थापन शरणार्थियों की आंतों के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है
Modified Date: December 28, 2025 / 05:55 pm IST
Published Date: December 28, 2025 5:55 pm IST

(मनाल मोहम्मद, वरिष्ठ लेक्चर)

लंदन, 28 दिसंबर (द कन्वरसेशन) शरणार्थियों के स्वास्थ्य पर अक्सर बीमारियों के प्रकोप, कुपोषण और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं के संदर्भ में चर्चा की जाती है। मगर विस्थापन के कुछ सबसे गंभीर प्रभाव आसानी से दिखाई नहीं देते। इसका एक उदाहरण यह है कि जबरन पलायन से आंत में मौजूद बैक्टीरिया कैसे बदल सकते हैं, जो प्रतिरक्षा और दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं।

मानव की आंतों में खरबों बैक्टीरिया, वायरस और कवक होते हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से आंत माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये सूक्ष्मजीव भोजन पचाने में मदद करते हैं, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं और बीमारियों से रक्षा करते हैं। एक स्वस्थ आंत में माइक्रोबायोम आमतौर पर विविध और संतुलित होता है, जिसमें प्रचुर मात्रा में लाभकारी बैक्टीरिया होते हैं जो संक्रमण और सूजन से रक्षा करने में सहायक होते हैं।

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अध्ययनों से पता चलता है कि शरणार्थियों की आंत के माइक्रोबायोम अक्सर उन लोगों से अलग होते हैं जिन्होंने विस्थापन का अनुभव नहीं किया है। शोधकर्ताओं ने विशिष्ट आंत माइक्रोबायोम प्रोफाइल का वर्णन किया है, जिनमें आमतौर पर कम प्रकार के सूक्ष्मजीव होते हैं और सबसे आम बैक्टीरिया में बदलाव होते हैं। ये अंतर आनुवंशिक नहीं हैं। बल्कि, ये उन चरम परिस्थितियों को दर्शाते हैं जिनका सामना कई शरणार्थी विस्थापन से पहले, इसके दौरान और बाद में करते हैं।

इन अंतरों को समझना शरणार्थियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, लेकिन यह भी दिखाता है कि समय के साथ सामाजिक असमानता किस तरह शारीरिक रूप से मानव शरीर में समा जाती है।

शरणार्थियों की आंत में माइक्रोबायोम में हानिकारक बैक्टीरिया और एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी जीवों का उच्च स्तर एक सामान्य निष्कर्ष है। एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया उन्हें मारने के लिए बनाई गई दवाओं से भी बच सकते हैं, जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है और वे आसानी से फैल सकते हैं।

खराब स्वच्छता और दूषित वातावरण एक प्रमुख कारण हैं। कई शरणार्थी संघर्ष या आपदा से प्रभावित क्षेत्रों से आते हैं या वहां से होकर गुजरते हैं, जहां स्वच्छ पानी और शौचालयों की उपलब्धता सीमित होती है।

अस्वच्छ पेय जल पीने या दूषित भोजन खाने से आंत में रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया के पनपने और बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है, इस प्रक्रिया को कॉलोनाइजेशन के नाम से जाना जाता है।

‘ई. कोलाई’, ‘साल्मोनेला’ और ‘शिगेला’ इसके सामान्य उदाहरणों में शामिल हैं। ये बैक्टीरिया दस्त, उल्टी और बुखार का कारण बन सकते हैं, और गंभीर मामलों में निर्जलीकरण, रक्त संक्रमण, बच्चों में विकास में रुकावट या दीर्घकालिक पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

पेट और आंतों में बार-बार होने वाले संक्रमण, खासकर भीड़भाड़ वाले और खराब स्वच्छता वाले स्थानों में, आंतों के सूक्ष्मजीवों के सामान्य संतुलन को बिगाड़ देते हैं। समय के साथ, हानिकारक प्रजातियां हावी हो सकती हैं, जबकि सूक्ष्मजीवों की समग्र विविधता कम हो जाती है। आंतों में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया की संख्या कम होना व्यापक रूप से आंतों के खराब स्वास्थ्य का संकेत माना जाता है।

दीर्घकालिक तनाव इन समस्याओं को और भी बदतर बना देता है। शरणार्थी अक्सर युद्ध, हिंसा, जबरन विस्थापन, परिवार से अलगाव और निरंतर अनिश्चितता से जुड़े लंबे समय तक चलने वाले तनाव के शिकार होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की दर बहुत अधिक है, और तनाव का असर शरीर के शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। यह असर आंत और मस्तिष्क के बीच संचार प्रणाली के ज़रिए होता है।

दीर्घकालिक तनाव प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं, हार्मोन के स्तर और आंत की परत में परिवर्तन लाता है। ये परिवर्तन सूजन को बढ़ाते हैं और हानिकारक सूक्ष्मजीवों के पनपने को आसान बनाते हैं, जबकि लैक्टोबैसिलस और बिफिडोबैक्टीरियम जैसे लाभकारी बैक्टीरिया को कम करते हैं।

एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग आंतों के खराब स्वास्थ्य और एंटीबायोटिक प्रतिरोध का एक प्रमुख कारण है। कम संसाधनों वाले या संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में, एंटीबायोटिक दवाओं का अक्सर अधिक उपयोग किया जाता है क्योंकि संक्रमण आम हैं और परीक्षण की सुविधा सीमित है।

दयनीय परिस्थितियां और कुपोषण

विस्थापन के दौरान रहने की खराब परिस्थितियां आंतों के संक्रमण और एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के प्रसार के जोखिम को और बढ़ा देती हैं। शरणार्थी शिविर और अस्थायी आश्रय स्थल अक्सर भीड़भाड़ वाले होते हैं और उनमें बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं का अभाव होता है, जिससे संक्रामक रोग आसानी से फैल जाते हैं।

द कन्वरसेशन नोमान नरेश

नरेश


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