स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं: डॉ. नरेश त्रेहन

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं: डॉ. नरेश त्रेहन

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं: डॉ. नरेश त्रेहन
Modified Date: December 11, 2025 / 12:03 pm IST
Published Date: December 11, 2025 12:03 pm IST

(योषिता सिंह)

न्यूयॉर्क, 11 दिसंबर (भाषा) विश्व प्रसिद्ध हृदयरोग विशेषज्ञ और कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) व प्रौद्योगिकी, औषधि निर्माण में विकास और चिकित्सा उपकरण जैसे विभिन्न स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा, “हम अब उस मुकाम पर हैं, जहां मुझे लगता है कि समय आ गया है… यह भारत का समय है। मैं स्वयं इस दिशा में पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं और मेरा मानना ​​है कि जो भी भारत की ओर देख रहा है, उसे आगे बढ़ना चाहिए, समय बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि यहां अवसर अपार हैं।”

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मेदांता के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तथा पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित डॉ. त्रेहन ने पिछले सप्ताह यहां एक वार्ता के दौरान यह बात कही।

न्यूयॉर्क में स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने पिछले सप्ताह ‘विकसित भारत 2047 में स्वास्थ्य सेवा’ शीर्षक से यह कार्यक्रम आयोजित किया था।

डॉ. त्रेहन ने भारत और अमेरिका के बीच स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सहयोग के अवसरों को रेखांकित करते हुए एआई, प्रौद्योगिकी, औषधि निर्माण में विकास, चिकित्सा उपकरण और इलाज के लिए आवाजाही जैसे क्षेत्रों की ओर इशारा किया, जहां दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं।

डॉ. त्रेहन ने कहा, “अमेरिका-भारत के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।”

उन्होंने एआई के बारे में कहा कि आज एल्गोरिदम इतने शक्तिशाली हो गए हैं कि विश्लेषण को कम समय में किया जा सकता है और डेटा को पहले की तुलना में 1000 गुना कम समय में संसाधित किया जा सकता है।

डॉ. त्रेहन ने कहा, “अगर यही एआई की ताकत है, तो आप देख सकते हैं कि इसे स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और स्वास्थ्य संबंधी पूर्वानुमान लगाने में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत को अब भी इस क्षेत्र में काफी आगे बढ़ना है और मुझे लगता है कि इसमें अमेरिका की बहुत बड़ी भूमिका है क्योंकि एआई या आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) का उद्गम चाहे कहीं भी हो, अमेरिका ही वह देश है, जिसके पास इसे वास्तविक कार्यशील मॉड्यूल में बदलने की क्षमता है।”

उन्होंने हालांकि इस बात पर जोर दिया, “एआई एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है, लेकिन आगे बढ़ने के साथ-साथ इसे प्रमाणित करने की आवश्यकता है। यह कोई चमत्कार नहीं है। ऐसा बिल्कुल नहीं है।”

भारत 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में त्रेहन ने 1.4 अरब की आबादी वाले देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक चिकित्सकों और नर्सों की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, “हम प्रति वर्ष 80,000 चिकित्सक तैयार करते हैं। अगर हम अपनी 1.4 अरब की बढ़ती आबादी की देखभाल करना चाहते हैं, तो हमें 1,60,000 चिकित्सकों की आवश्यकता है।”

भाषा जितेंद्र जोहेब

जोहेब


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