आधुनिक इतिहास में सामूहिक आत्महत्या की सबसे बड़ी घटना, धर्मगुरु समेत 900 लोगों ने किया था सुसाइड

आधुनिक इतिहास में सामूहिक आत्महत्या की सबसे बड़ी घटना, धर्मगुरु समेत 900 लोगों ने किया था सुसाइड

आधुनिक इतिहास में सामूहिक आत्महत्या की सबसे बड़ी घटना, धर्मगुरु समेत 900 लोगों ने किया था सुसाइड
Modified Date: November 29, 2022 / 08:51 pm IST
Published Date: November 18, 2020 11:46 am IST

गुयाना। आज से 42 साल पहले 18 नवंबर को दक्षिण अमेरिका के गुयाना के जोन्सटाउन में 900 से अधिक लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी, ये सभी एक धार्मिक पंथ पीपल्स टेंपल ग्रुप को मानने वाले थे। इस पंथ की स्थापना करने वाले जिम जोंस ने भी आत्महत्या कर ली थी। इसे आधुनिक इतिहास में सामूहिक आत्महत्या की सबसे बड़ी घटना माना जाता है। जिम जोन्स एक पादरी था जिसने 1950 के दशक में पीपल्स टेंपल की स्थापना की थी।

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जिम जोन्स शुरुआती दौर में नस्लभेद के खिलाफ बातें करता था जिसके चलते उसके पंथ में कई अफ्रीकी अमेरिकन्स शामिल हुए, क्योंकि उस दौर में अमेरिका में ब्लैक लोग अपने अधिकारों के खिलाफ काफी मुखर हो रहे थे। इसके अलावा सिविल राइट्स को लेकर भी वह काफी मुखर था। उसने कई कलर के बच्चों को एडॉप्ट किया, उसका एक ही बेटा था जिसका मिडिल नेम गांधी था। जिम अपने साथ जुड़े लोगों को ये एहसास दिलाना चाहते थे कि युद्ध, डिप्रेशन और तकलीफों से गुजरते अमेरिकियों के लिए एक आदर्श समाज की स्थापना की जा सकती है।

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60 और 70 के दशक में अमेरिकी समाज में फैली युगचेतना को जिम ने भी भुनाने की कोशिश की, उन्होंने लोगों के डर और असुरक्षा को देखते हुए वादे किए कि वे एक बेहतर दुनिया बनाने जा रहे हैं जहां हर कोई एक समान होगा। जिम जोंस की एक पूर्व फॉलोअर के मुताबिक, वो अपने आपको गांधी, बुद्ध और लेनिन का रूप बताते थे, किसी को एक पिता की जरूरत महसूस होती थी तो उसके साथ वैसे ही बर्ताव करते थे, वे अपने पंथ में मौजूद हर इंसान को उसकी असुरक्षा के हिसाब से सुनिश्चित करते थे।

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जिम जोंस के इस पंथ में ज्यादातर अफ्रीकन अमेरिकन लोग थे, लेकिन इसके अलावा इस ग्रुप में मेक्सिकन, यहूदी और गोरे लोग भी शामिल थे, इन लोगों में कई ऐसे थे जो अनपढ़ थे, वहीं, कई ऐसे भी थे जो काफी एजुकेटेड थे लेकिन सभी एक आदर्श लोक की स्थापना के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे और जिम ने इन्हें जो सपना दिखाया था, उसके लिए जी जान से जुटे थे। 1970 के दशक में जिम के ग्रुप पर आरोप लगने लगे कि उन्होंने आर्थिक फ्रॉड किए हैं और उन पर अपने पंथ के लोगों के साथ दुराचार के आरोप लगने लगे। अपने खिलाफ बढ़ती आलोचना को देखते हुए उन्होंने अपने ग्रुप को गुयाना ले जाने का फैसला किया। उन्होंने अपने पंथ के लोगों से वादा किया कि गुयाना में एक आदर्श समाज का निर्माण करेंगे।

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हालांकि, गुयाना के जोनसटाउन में जिस आदर्शलोक की आस जिम के फॉलोअर्स लगाए बैठे थे, उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला। टेंपल के सदस्यों को फील्ड में काफी मेहनत करनी पड़ती थी और जोनस के प्रशासन पर सवाल उठाने पर उन्हें काफी कड़ी सजा मिलती थी, उनके पासपोर्ट छीन लिए गए थे, वहीं जिम ड्रग्स का आदी हो चुका था और उसके मानसिक हालात खराब हो चले थे और उसे भरोसा हो चला था कि अमेरिकन सरकार उसे खत्म करने वाली है।

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1978 में पीपल्स टेंपल के पूर्व सदस्यों ने अमेरिका के एक नेता लियो रायन को मनाते हुए इस मामले की जांच करने को कहा, 17 नवंबर 1978 को लियो जोनसटाउन में कुछ पत्रकारों के साथ पहुंचे, जब लियो अगले दिन वहां से जाने लगे तो कई जोनसटाउन में मौजूद लोगों ने उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए कहा, जोनस इस घटना से चिंतित हो गया और फिर उसने अपने फॉलोअर्स को लियो रायन को मार डालने के लिए कहा। जिम के फॉलोअर्स ने लियो और उनके चार साथियों को मार गिराया।

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अगले दिन जोनसटाउन में जिम ने सबको मेन पेवेलियन में आने को कहा और उसे बताया कि उन्हें अब एक क्रांतिकारी कदम उठाना होगा, पीपल्स टेंपल के सबसे यंग सदस्य सबसे पहले मरने वाले लोगों में से थे क्योंकि वहां मौजूद नर्स और पेरेंट्स ने इंजेक्शन में फ्रूट जूस और साइनाइड दे दिया था, इसके बाद युवाओं को साइनाइड दिया गया, वहीं, जो लोग इस सामूहिक आत्महत्या में शामिल नहीं होना चाहते थे, उन्हें गन प्वाइंट पर ऐसा करना पड़ा और देखते ही देखते 900 से ज्यादा लोगों ने सामूहिक सुसाइड कर लिया। इनमें से एक तिहाई बच्चे भी शामिल थे।

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com