भारत की तकनीकी सहायता बेहद अहम: राष्ट्रमंडल प्रमुख

भारत की तकनीकी सहायता बेहद अहम: राष्ट्रमंडल प्रमुख

  •  
  • Publish Date - May 17, 2024 / 10:25 AM IST,
    Updated On - May 17, 2024 / 10:25 AM IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, 17 मई (भाषा) राष्ट्रमंडल महासचिव पेट्रीसिया स्कॉटलैंड ने कहा है कि इस वैश्विक संस्था के लिए भारत की तकनीकी सहायता अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह कई विकासशील देशों को विकास संबंधी चुनौतियों से निपटने की आशा प्रदान करती है।

स्कॉटलैंड ने लंदन में राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक के 22वें सत्र की मेजबानी के दौरान यह बात कही।

उन्होंने राष्ट्रमंडल के साथ तकनीकी विकास के तरीकों को साझा करने की भारत की इच्छा का स्वागत किया और संगठन के शैक्षिक लक्ष्यों के प्रति अधिक प्रतिबद्धता की उम्मीद जताई।

राष्ट्रमंडल महासचिव ने लंदन में राष्ट्रमंडल सचिवालय मार्लबोरो हाउस मुख्यालय में बृहस्पतिवार को शुरू हुई दो दिवसीय बैठक में अपने संबोधन में मंत्रियों से शिक्षा तक पहुंच में बाधा डालने वाली चुनौतियों को खत्म करने, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने और जीवन भर सीखने के लिए प्रोत्साहित होने को कहा।

स्कॉटलैंड ने कहा, ‘‘भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने तकनीकी विकास को अपने राष्ट्रमंडल परिवार के साथ साझा करने और इसे ‘ओपन-सोर्स’ तरीके से साझा करने को तैयार है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कई विकासशील देशों को इससे आशा जागी है क्योंकि तकनीकी विकास उन विकासात्मक चुनौतियों से आगे निकलने में सक्षम बनाता है जिनका भारत पहले ही सामना कर चुका है और जिनसे आगे निकल चुका है… उन्होंने हमारे साथ अब तक जो साझा किया है, उसके लिए मैं भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं।’’

सम्मेलन में मुख्य वक्ता समाज सुधारक एवं नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी थे। सत्यार्थी ने पिछले 15-20 वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में भारत की प्रगति पर प्रकाश डाला और राष्ट्रमंडल देशों के बच्चों के लिए ‘‘समानुभूति मेधा’’ का प्रस्ताव रखा।

उन्होंने कहा ‘‘समानुभूति मेधा निस्वार्थ, उचित और समस्याओं को हल करने वाली है। समस्या का समाधान करने वालों और समस्या से पीड़ित लोगों के बीच किसी प्रकार का कोई संपर्क नहीं होना गंभीर बात है। शिक्षा मंत्री और शिक्षा क्षेत्र यह सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं कि हमारे बच्चे समानुभूति मेधा विकसित करें और बढ़ते विभाजन और भेदभावपूर्ण प्रथाओं को कम कर सकें।’’

भाषा शोभना वैभव

वैभव