हो गया कमाल! पूरी तरह ठीक हुई HIV पीड़ित महिला, दुनिया का पहला मामला..जाने कैसे

अमेरिका की एक महिला HIV से पूरी तरह ठीक हो गई है।इसके इलाज में वैज्ञानिकों ने एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया है। HIV से ठीक होने वाली ये दुनिया की पहली महिला है। दावा किया जा रहा है कि अब इस तकनीक से HIV मरीजों के इलाज में काफी मदद मिलेगी।

हो गया कमाल! पूरी तरह ठीक हुई HIV पीड़ित महिला, दुनिया का पहला मामला..जाने कैसे

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:45 pm IST
Published Date: February 16, 2022 4:04 pm IST

नई दिल्ली, 16 फरवरी। HIV एक लाइलाज बीमारी है, सालों से इसका इलाज ढूंढ रहे वैज्ञानिक अब अपनी कोशिश में कामयाब होते दिख रहे हैं। वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक से HIV के तीसरे मरीज और पहली महिला का इलाज कर दिया है। डेनवर को शोधकर्ताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी, न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem cell transplant) तकनीक के जरिए ये कमाल कर दिखाया है।

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दरअसल, HIV से ग्रस्त महिला का इलाज एक नई तकनीक से किया गया, इसमें अम्बिलिकल कॉर्ड (Umbilical Cord ) यानी गर्भनाल के खून का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक में अम्बिलिकल कॉर्ड स्टेम सेल को डोनर से ज्यादा मिलाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है जैसे कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट में होता है।

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वैसे भी एचआईवी मरीजों के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट बहुत अच्छा विकल्प नहीं है, ये ट्रांसप्लांट काफी खतरनाक होता है इसलिए इससे उन्हीं लोगों का इलाज किया जाता है जो कैंसर से पीड़ित हों और कोई दूसरा रास्ता ना बचा हो।

अभी तक पूरी दुनिया में एचआईवी के दो ही ऐसे मामले थे जिनमें सफलातपूर्वक इलाज हुआ, द बर्निल पेंशेंट के नाम से जाने गए टिमोथी रे ब्राउन 12 सालों तक वायरस के चंगुल से मुक्त रहे और 2020 में कैंसर से उनकी मौत हुई। साल 2019 में एचआईवी से पीड़ित एडम कैस्टिलेजो का भी इलाज करने में कामयाबी मिली थी।

मरीज का इलाज करने वाली टीम में शामिल डॉक्टर कोएन वैन बेसियन ने कहा, ‘स्टेम सेल की नई तकनीक से मरीजों को काफी मदद मिलेगी। अम्बिलिकल कॉर्ड ब्लड के आंशिक रूप से मेल खाने वाली विशेषता की वजह से ऐसे मरीजों के लिए उपयुक्त डोनर खोजने की संभावना बहुत बढ़ जाती है’

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गौरतलब है कि महिला को 2013 में HIV का पता चला था, चार साल बाद, उसे ल्यूकेमिया का भी पता चला, इस ब्लड कैंसर का इलाज हैप्लो-कॉर्ड ट्रांसप्लांट के जरिए किया गया जिसमें आंशिक रूप से मेल खाने वाले डोनर से कॉर्ड ब्लड लिया गया। ट्रांसप्लान के दौरान एक करीबी रिश्तेदार ने भी महिला की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उसे ब्लड डोनेट किया, महिला का आखिरी ट्रांसप्लांट 2017 में हुआ था। पिछले 4 सालों में वो ल्यूकेमिया से पूरी तरह ठीक हो चुकी है, ट्रांसप्लांट के 3 साल बाद डॉक्टरों ने उसका HIV इलाज बंद कर दिया और वो अब तक किसी वायरस की चपेट में फिर से नहीं आई है।

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कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक एड्स विशेषज्ञ डॉ स्टीवन डीक्स के अनुसार, महिला के माता पिता श्वेत-अश्वेत दोनों थे, मिश्रित नस्ल और महिला होना ये दोनों फैक्टर वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, अम्बिलिकल कॉर्ड कमाल की होती हैं, इन कोशिकाओं और कॉर्ड ब्लड में कुछ ऐसी जादुई चीज होती है जो मरीजों को लाभ पहुंचाती है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com